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________________ सलमी गर्न गलाव्या, सातन पातन कीधां ॥ दे ॥ ७॥ के जलचारी जीवने मास्या, नां खी जाल ते जलमां ।। वृषन्न प्रमुखने सकटे जोमी, नार वहाव्या अलमां ॥३०॥॥ के संग्राम कस्यां शूरातन, मास्यां माणस होमे ॥ के बल करीने वाट पमावी, धन लीधां मन कोमे॥ दे०॥॥अगल पाणी पोधां अह निशि, पूरा प्रमुख न राख्या ॥ पालर वा कलना नगवंते, दोष अनंता दाख्या ॥ दे० ॥१०॥ यतः अनुष्टुवृत्तम्. ॥ संवरेणयत्पा पं, कैवर्त्तस्येह जायते ॥ एकाहनितदाप्नोति, अपुतजलसंग्रही॥१॥नावार्थ:-या लोकने 18| विषे निल्ल माणसने जेटलुं पाप एक वर्षमा लागे, तेटलु, पाप अपवित्र (अणगल) पाहणीना संग्रह करनारने मात्र एक दिवसमा लागे . ॥१॥ पंच थावरनी पग पग हिंसा, करतां महेर न आणी॥त्रसने पिण हणतां को वेला, अनुकंपा चित नाणी ॥दे॥११॥ Pोध लोन लय हांसीने वझा, कूमां आल जे दीधां ॥ फल लेहनांनोगवां निश्चे, धनवति नी परे सीधां ॥ दे० ॥१२ ।। चोरी कीधी परधन लेवा, चोरने संबल दोधो॥नेल संन्नेल पालर एटले आकाशथी पमेनुं पाणी अने वाकल एटले नूमिथी नीकलेलं पाणी; आ बन्न जात | ४ना पाणीना पूराने एक बीजामा जेलसेल करे, अर्थात् पालरना पाणीना पूराने याकलना पाणीमां नांख | अने वाकलना पाणीना पूराने पालरना पाणीमां नांखे या तेि करवाथी घगुन पाप नागे के. HEHOREOGRESER Jain Educational national For Personal and Private Use Only I Mw.jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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