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________________ سه धन्ना० बहुलो अयो॥ प्रत्नावतीने कंत वियोग थयो वली, मृगावतीनो कष्ट ते जाणे केवली ॥७॥न. 18 नृप पवनजय नारी सहे दुःख अंजना, नर्मदासुंदर तेम करी पति रंजना ॥ मयगरेहा सती कष्ट लही ते सहु कहे, अचंकारी तेम अतूल पीमा सहे ॥ए|| चंदनवाल विशाल गुणेथी वखाणीए, कर्मोदयथी तेह वेचाणी जाणीए ॥ हरिचंरायने पुत्र स्त्री तारा लोचना, वेचायां परतक्ष शी करवी सोचना ॥ १०॥ देखो कर्मनी वात प्रावी वनी एहने, नो-2 | गोलमर शालिन बांधव ने जेहने ॥गौनइ सम तात मात नज्ञ सती, मुज सरिखोन ६ रतार ने सुख न लहे रती ॥ ११ ।। जुन जुन मात ने तात अनेक विपद सहे, नदरत्नरणने काज नपल मस्तके वहे ॥ जगमें उनर पेट कह्यो ने शास्त्रमें, कुण कुण न करे अकाज जनते अनुक्रमे ॥१॥ यतः॥सवैयो तेत्रीगो.॥जख कलीन करे अकलीनके नख घरो घर नीख मगावे, नीचकी चाकरी नूख करावे निर्मल बंशकु मेल लगावे ॥ नूख । | नमावे विदेश विपनिमें दीन दुःखी मसकीन कहावे, नूख समो नही दुःख जसा कोई पापिणी नूख अन्नद नखावे ॥२॥ देखो धनावद शेठ अन्नद नक्षण कस्यो, सुसमा पु त्री मांसलखी तन निज धस्यो॥ नदरार्थे नलराय समारपणो कीयो, घर घर मंज नरेश माग टूकमो लीयो ॥ १३ ॥ आषाढनूती आहार निमित्ने विद्या करी, नव नव रूप बनाय । ANS-S--NCRECTOR-NCR-CRORE Jan Education to For Personal and Private Use Only ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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