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________________ नहीं ए ॥७॥ यतः॥ स्त्री पीयर नर सासरे, संयमिया सहवास ॥ एता होय अलखामगा, जो मंझे थिरवास ॥१॥नावार्थ:-स्त्री पीयर, पुरुष सासरे अने मुनि एक नपायमां, एत्रणे पूर्वोक्त स्थानकमां घणा दिवस रहे, तो जरूर अलखामणा थाय. ॥१॥ जिण दिन धन होय पात रे, पति संगे होवे ॥ ते दिन पीयर रूयमो ए ॥ पिण लही आपद योग रे, बंझी सासरो ॥ पीयर जावो कूयमो ए॥७॥ सुख दुःख सवि तुम साथ रे, नोगविद्यु सदा ॥ धीर धरो तुमे तातजी ए ॥ जो मिलशे पियु योग रे, तो पीयर हवे ॥ आवशंस18| यल संपद नजी ए॥ ए॥ सुणी दरख्यो धनसार रे, धन धन ए वहु ॥ सहमें ए आधार 8 ने ए॥मात तात ने जात रे, सासरियां यकी । लेखवीया सघला पळे ए ॥ १० ॥ चाल्यो । हवे धनसार रे, राजगृही थकी ॥ अंगज स्त्री वधु परिवस्यो ए ॥ वस्त्र विनूषण हीन रे, से दीनपणा थकी।नंमोपगरण शिरे धस्यां ए ॥ ११ ॥ अष्ट करमथी जीव रे, जिम संसार २ मां॥ परित्रमणां करे परगमो ए॥तिम धनसार तिवार रे, आये जन थकी ॥ देश विदेश फिरे वमो ए॥ १ ॥ जोतां वन आराम रे, ग्राम घणांनमे ॥ पिण घिरता न लहे किहां जए॥ काशंबीपुरि पास रे, आवे अन्यदा ॥ वार्ता वृत्तिनी लहे ए॥ १३ ॥ धनपुरमें धनशेठ रे, शर खानन नणी ॥ आपे प्रबल आजीविका ए ॥ स्त्रीने एक दिनार रे, युग्म पुरुष प्रते CHECORRECRॐ Jain Education national For Personal and Private Use Only K a inelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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