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________________ धन्ना० ६० नकपणे अत्यंत ॥ एए ॥ एक कर्ष अबला प्रते, पुरुषने दोय दिनार । जोजन चोला तैल श्री, टंक दोय व्यवहार ॥ १० ॥ धन्नो राजगृही थकी, निसरियो तिथिवार ॥ जे जे कार नीपन्यो, ते निसु अधिकार ॥ ११ ॥ ॥ ढाल ४ श्री. ॥ ( कल लाखोली रे जाय. - ए देशी. ) धन्नोशाद जब नीसस्यो जी, बंकी नार। प्रसंग ॥ नारी त्रिएये ततक्षणे जी, नवि देखे पियु संग रे || प्रीतम किहां गया श्रमने रे बोकि || हांसीनी वेला नहीं जी, प्रावो वालम | दो कि रे ॥ प्री० ॥ १ ॥ प्रकल]. ॥ श्रमे तुम पालव बांधिया जी, तुमे श्रमचा जरतार ॥ तुम श्राधार वालेशरू जी, जीव जीवन निरधार रे || प्री० ||२|| मात पिताये तुम प्रते जी, सोप्या पंचनी साख ॥ केरु न बोडुं जोवतां जी, ते निश्चय मन राख रे ॥ प्री० ॥ ३ ॥ ए मंदिर ए मालियां जी, ए सुखसेज सुवास ॥ सरवे वल्लन तिहां लगे जी, जिहां लगे तुं पियु पास रे ॥ प्री० ॥ ४ ॥ इम कहती त्रिएये सती जी, जोया सयल ग्रावास ॥ नवि दीगे. वल्लन तदा जी, श्रावी सासू पास रे ॥ प्री० ॥ ५ ॥ श्रम प्राणेश दीसे नही जी, श्रम मंदिर इलिवार || बाइजी तुम जाया पखे जी, अवर कवण आधार रे || प्री० ॥ ६ ॥ इम कती रमती थकी जी, ते त्रिएये तिथिवार ॥ विरह विलाप करे घणा जी, कहेतां नावे Jain Education national For Personal and Private Use Only न० ३ ६० v.jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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