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________________ पार रे॥ प्री ॥७॥शीलवती पिण सानली जी, धरणी ढली ततखेव ॥ वारंवार ए पु. त्रनो जी, विरह दिये कां दैव रे ॥प्री०॥जा तुं मुज आंधा लाकमो जी, कुलमंझण कुल जाण ॥ पर नपगारी परगमो जी, पैतृक दुःखनो जाग रे ॥प्री० ॥ वय पाकी हवे असे म तणी जी, तूं किम मूकी रे जाय ॥ घरपणमें सेवा तणो जी, फल अधिको कहिवाय रे । प्री॥१॥ यतः॥ अनुष्टुववृत्तम् ॥ पतिताः पितरस्त्याज्याः, माता नैव कदाचन ॥गर्न धारण पोषान्यां, नवेन्माता गरीयसी॥१॥नावार्थः-पतित थएला पिता त्याग करवा 31 | योग्य , परंतु माता तो कदि पण त्याग करवा योग्य नथी; कारण के, गर्भधारण अने पो Hषण करवाश्री माता वधारे मान्य बे.॥१॥श्म निष्टुर मन तुम तणो जी, किम थाये ।। रे पूत ॥ तुजविण कणमां अम तो जी, विणले ने घरसूत्र रे ॥जी॥११॥ धनसारे पि सांनली जी, पुत्र गमननी रे वात ॥ शोकातुर विलवे घj जी, करे अशेष अश्रुपात रे । प्री०॥१॥नोजाई त्रिएये तिहां जी, श्रावी ते समकाल ॥ धन्ना गुणधी गोरमी जो, रे 51 हृदय विचाल रे ॥ देवर०॥ १३ ॥ अमने तुमे सुखीया कीयां जी, वारंवार पवित्र ॥नालग्यहीन दु अति अमे जी, तुमे देवर सुचरित्र रे ॥ दे॥१४॥ यतः॥ आर्यावृत्तम्. ॥ सायरी * तुझन दोसो, दोसो अह्माण पुवकम्माणं ॥ रयणायरंमि पत्ते, सालूरो हाल मे लग्गो ॥२॥ For Personal and Private Use Only M .jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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