SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ HEE मकणे आवे ॥ स्थानक सुंदर सेई धनथी, सुखमय काल गमावे रे ॥०॥पुणा॥राय सं. 15 तानिक तिहांनो राजा, सहस्रानिकनो बेटो ॥ त्रीश राज्यगुणे करी पूरो, त्यागी मांस आखेटो रे ॥न०॥पु०॥३॥ यतः॥आर्यावृतम. ॥शग्दमनाशपालण-माश्रितन्नरणं च राज्यचिन्हानि ॥ अनिषेकपट्टबंधो, वालव्यजनं व्रणस्यापि ॥१॥नावार्थ:-शग्ने दम, अश, पालण करवं अने आश्रितजनो एटले शरणे आवेलानुं नरण पोषण करवू, एज त्रण राज्यचिन्ह ; परंतु शब्दमनादिक विना राज्यानिषेक, मस्तके पट्टबंध अने बन्ने बा13 जु चामरोनुं विंजावq, ते गूममा तुल्य छे. अर्थात् गूममाने जेम पाणीनो अनिषेक, पाटो । अने मांखीननु नझाम, थाय , तेम पूर्वोक्त राज्यचिन्द विना अनिषेकादिक पण गूममा तुल्य जाणवा.॥१॥ जेहनी नगिनी जयंती जाणी, सतियो मांदे गवाणी ॥ बालकुमाकरी प्रथम शय्यातरी, वीरे जेह वखाणी रे ॥ ज० ॥ पु०॥॥ राय संतानिकनी पटरा णी, मृगावती सपराणी ॥ चेमा महाराजानी पुत्री, चावी जगमा जागी रे ॥न०॥पुर ६॥५॥ पुत्र नदायन नामे शूरो, सकल कलाये पूरो ॥ वीणा नाद विशेषे वजावे, गांधर्वि क गुणे पूरो रे॥न ॥ पु०॥६॥ सौनाग्यमंजरी नृपनी बेटी, रूपे रतिनी जोमी ।ल क्ष्मीनी परे लक्षणवंती, कोय न दीसे खोमी रे ॥न ॥ पु०॥७॥राय संतानिकने नंमा RSE-5-%E Jain Education national For Personal and Private Use Only C ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy