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धन्ना०ाणी शकता नश्री; जेम कोलीए विष्णर्नु रूप करी राजकन्या नोगवी तेम.॥१॥ प्रामंत्रेन ध नबांहि, अन्नयने मेरे त्यांहि ॥ सो० ॥ अन्य दिवस अवसर लहीजी ॥ पिरशांनोजन
दा.सार, व्यंजन विविध प्रकार ॥ सो० ॥शालि दालि घृतथी सही जी॥६॥ तऽपरि गोरस ।।
गम, चंहास्य शशे नाम ॥ सो ॥ मदिराने मन मोदझुं जी ॥ जिमतां बेंत तिवार, घू णित नयन विकार ॥ सो ॥ निश लहे आणंदशं जी ॥७॥ घाली रथमें ताम, चालीने क रिने काम ॥ सो० ॥ गणिका राजगृहि थकी जी॥पोहती नऊयिनी तेह, नृपने कहे सस नेह ॥ सो०॥ अन्नय प्राण्यो अमे बल थकी जो ॥॥ सुणि प्रद्योतन राय, कीधो लाख 31 पसाय ॥ सो० ॥ गणिकाने अति सादरे जी ॥ अन्नयकुमरने ताम, तेमावी तिण गम ॥ | सो०॥ गणिका गृहथी आदरे जी॥॥ तव प्रद्योत नरेश, अन्नय थकी सुविशेष ॥ सो०॥ । हास्यादिक विधि बहु करे जी॥ बुझितयो नंमार, देखी अन्नयकुमार ॥ सो०॥ चंप्रद्योत ।
पण हित धरे जी ॥१०॥ अन्नय कहे सुण राय, बंमी अवर उपाय ॥ सो ॥ धरम तणो । 15/बल मुज कस्यो जी॥ एह अघटतो काज, तुजने न लागी लाज |सो०॥ नीति वचन पिण 81
नवि धस्यो जी ॥११॥ धिग धिग तुज अवतार, कूम कण्ट कोगर ॥ सो०॥ जिनमतने । & मेलो कस्यो जी ॥ मुज मासीने गेह, रहेगुं धरी बहु नेद ॥ न नमुं तुजने वीफस्यो जी ॥
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