SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -5 % १२॥इम कहीने सुविचार, मासीने आमार ॥ सो० ॥अनय रहे पाणंदमें जी ॥ ढाल ए 5 बारमी खास, कही बोजे नल्हास ॥ सो० ॥ बुध जिनविजये मन गमे जो ॥१३॥ ॥ दोहा. ॥ एहवे राजगृह नगर, नृप श्रेणिक दरबार । सेचन गज मदश्री अयो, वि| है कल विरूप तिवार ॥१॥ आलानर्थन नपामने, पामे गोपुर पोल ।। मंदिर ढाहे मोजयो, से चरे हाटनी नल ॥२॥ नाणावटी कमिया प्रमुख, देखि दिशो दिशि जाय ॥ विखेरी तस 15 वस्तुने, वलि पागल ऊजाय ॥३॥ नार सहस अयमयः निविम, त्रोमी सांकल ताम॥15 का पुरजनने मूंढापथी, ग्रहे क्रिमाने काम ॥ सयल नयरने ततदणे, कोधो हाल कहोल | K नगर लोक आकुल भयो, गजथी अतिहि अतोल ॥ ५॥ ॥ढाल १३ मी. ॥ (कोई शूर सुन्नटने नांखो रे.-ए देशी.) 5 गज बटो देखीने नूपति, मनमा एम विमासे रे॥ बुहिवंत बलथी पिण शूरो, अन्न 15| य नही मुज पासे रे ॥ तुमे लावो रे, कोश् गयवर पकझी लावो रे ॥ को दाय नपाय बतावो रे ॥१॥ए आंकणी ॥ तेह अवंति मांडे विराजे, प्रद्योतन गृह गाजे रे ॥ अवर न k ण नगरे को एहवो, जे ए को संकट नाजे रे ॥ तु०॥॥ सुन्नट सकल सेना प्रवि हं दिशि, पिण गज हाथ न आवे रे ॥. विलखा घाने वीर हुताते, नालीने घर जावे रे । 5 Jain Education national For Personal and Private Use Only Tamilw.jainelibrary.org 1
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy