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नन्दिसूत्रम्
अवचूरि
समलंकृतम्
॥१९९।।
तित्थयरगंडिआओ, चक्कवद्विगंडिआओ, दसारगडिआओ, बलदेवगंडिआओ, वासुदेवगंडिआओ, गणधरगंडिआओ, भद्दवाहुगंडिआओ, तवोकम्मगंडिआओ, हरिवंसगंडिआओ, उस्सप्पिणी गंडिआओ, ओसप्पिणीगंडिआओ, चित्तंतरगंडिआओ अमरनरतिरिअनिरयगइगमणविविहपरियणेसु एवमाईआओगंडिआओ आघविजंति पन्नविनंति से तं गंडिआणुओगे।सेतं अणूओगे॥४॥ से किं तं चूलिआओ? चूलिआओ आइल्लाणं चउण्हं पुब्वाणं चूलिआ, सेसाई पुव्वाइं अचूलिआई, से तं चूलिआओ ॥५॥ दिहिवायरस णं परित्ता वायणा संखिजा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिज्जाओ निनुत्तिओसंखिजाओ पडिवत्तिओसंखिज्जाओसंगहणीओ से णं अंगट्टयाए बारसमे अंगे एगे सुअक्खंधे चउदस पुब्वाइं संखिजा वत्थू संखिजा चूलवत्थू संखिजा पाहुडा संखिज्जा पाहुडपाहुडा संखिज्जाओ पाहुडिआओ संखिजाओ पाहुडपाहुडिआओ संखिजाई पयसहस्साई पयग्गेण संखिजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आधविनंति पन्नविजंति परूविजंति दंसिज्जति निदंसिर्जति उवदंसिजंति से एवं आया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ । से तं दिविवाए ॥ १२ ॥ अथ कानि सूत्राणि, सर्वस्य पूर्वगतसूत्रार्थस्य सूचनात् सूत्राणि, तथाहि-तानि सूत्राणि सर्वद्रव्याणां सर्वपर्यायाणां
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