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कल्पन
बारसो.
॥६३॥
लिंगसूव,कप्पइसे चाउलोदणे पडिगादित्तए,नो से कप्पइनिलिंगसूवे पडिगाहित्तए॥३३॥ तब से पुवागमणेणं पुवाउत्ते निलिंगसूवे पचाउत्ते चाउलोदणे,कप्पइसे निलिंगसूवे पडिगादित्तए,नो से कप्पश् चानलोदणे पडिगादित्तए॥३४॥तव से पुवागमणेणं दोवि पुवानत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगादित्तए।तब से पुवागमणेणं दोवि पठानत्ताइं,एवं नो से कप्पंति दोवि पडिगादित्तए,जे से तब पुवागमणेणं पुवाउत्ते,से कप्पश् पडिगादित्तए,जे से तब पुवागमणेणं पाउत्ते,नो से कप्पइ पडिगादित्तए॥३॥वासावासं पजोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गादावश्कुलं पिंमवायपमियाए अणुपविछेस्स निगिन्किय निगि-1 किय वुहिकाए निमश्का,कप्पइसे अहे आरामंसि वा अहे नवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुकमूलंसि वा उवागवित्तए,नो से कप्प३ पुवगहिएणं नत्तपाणेणं वेलं उवायणावित्तए,कप्पइ से पुवामेव वियडगं जुच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संखिदिय संपमजिय संपमझिय एगाययं मंगं कट्ट सावसेसे सूरे जेणेव उवस्सए तेणेव उवागचित्तए,
॥६३॥
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