SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ************************* नो से कप्पर तं रयणिं तदेव उवायणा वित्ताए॥३६॥वासावासं पजोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गादावश्कुलं पिझवायपडियाए अणुपविठस्स निगिछिय निगिज्य वुहिकाए निवजा,कप्पई से अहे आरामंसि वा अहे जवस्सयंसि वा उवागवित्तए ॥३॥ तब नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए ये निग्गंथीए एगये चिहित्तए । १, तब नो कप्पइ एगस्स निग्गंधस्स उपदं निग्गंधीणं एगय चित्तिए २, तब नो । कप्पर डाहं निग्गंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगय चिहित्तए ३, तब नो कप्पर जाएं निग्गंथाणं एवं निग्गंथीण य एगय चित्तिएधाअबियश्च केश पंचमे खुड्डए वा खु-* ड्डिया श्वा अन्नसिं वा संलोए सपडिज्वारे एवएदं कप्पक्ष एगय चिहित्तए॥३॥वासावासं पङोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावश्कुलं पिंमवायपमियाए अणुपविठस्स निगिन्छिए निगिन्छिए वुझिकाए निवजा,कप्पइसे अदे आरामंसि वा अहे जवस्सयंसि वा जवागचित्तए,तब नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य अगारीए एगय चिहित्तए,एवं चन १ नास्ति प्रत्यन्तर २ एगा (क० सु० क० को०) Main Education International For Private Personal Use Only BAMLLiainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy