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________________ RESEARCRASANGALORE ह अने ग्रंथ पूरो थयो. पण तेओ बीजी मुश्केलीओ, जे संशोधनकार्यमा अने संपादकना कर्त्तव्यमा रहेली छे ते भाग्ये ज समजी शके. तेथी ते मुश्केलीओनुं दिग्दर्शन करावq अस्थाने नथी. आ दिग्दर्शन कराववानो खास हेतु तो ए छे के माणस पोताथी बनतो बधो श्रम करे छतां सारं काम करवामां केटली त्रुटिओ रही जाय छे एनो वाचकोने ख्याल आवे. अने तेथी रही गएल त्रुटिओ तरफ होतेओ उदार नजरे जुए. अने साहित्यना कार्यने सार्वजनिक समजी तेमां पोतानी पण जवाबदारी समायली छे एम मानी देखाती त्रुटिओ पोते सुधारी ले अने आगळना संस्करणमां तेनो उपयोग थइ शके तेमाटे अमने सूचना करे. | पहेली मुश्केली उक्त चार प्रतोना परस्परविसंवादनी हती. एक प्रतिमां अमुक पाठ होय ते बीजीमां न होय ए पाठपतन. ह एक प्रतिमां अमुक अर्थबोधक अमुक वाक्य होय तो बीजी प्रतिमां ते ज अर्थबोधक बीजं वाक्य होय. ए पाठान्तर. कोइ स्थळे तो एक सिवाय बीजी प्रतिओमां अमुक जोइतो पाठ न ज होय, अने होय ते पण ज्यां न जोइए त्यां होय अने जोइए त्यां न होय. आ बधी विसंवादगर्भित मुश्केलीओ उपरांत लेखकदोषथी लखाणमां आवेल पारावार अशुद्धिओ पण हती. बीजी मुश्केलीमा अवतरणो-प्रमाणरूपे आपेल पाठो-ने लगती मुश्केलीओनो समावेश थाय छे. उपाध्यायजीनो ग्रंथ एटले अवतरणोनी खाण. तेमांए प्रस्तुत ग्रंथ सिद्धान्तोना अवतरणोथी भरेलो, सिद्धान्तोमा पण जे सिद्धांतो एटले छेदसूत्रो, जे सामान्य रीते पठन, पाठन अने परिचयनी बहार छे तेनां अवतरणो. आ अवतरणोमां अनेक मुश्केलीओ नडी छे. कोइ जगोए अवतरण गद्य | सजणातुं होय, ते अवतरणवाळो मूळग्रंथ काढीए तो तेमाए गद्यनो भास थतो होय, अने छतां होय तो पद्य. तेवे स्थळे गद्य भा सतानुं पद्य नकी करी तेने पद्यरूपमा गोठवq ए सरळ तो नथी ज. घणी जगोए दरेक प्रतिमां अवतरणोमां पंक्तिओनी पंक्तिओ SAMSAREESOURCE 561 Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600159
Book TitleGurutattva Vinischaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani, Chaturvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1925
Total Pages540
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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