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________________ हास, खास करी साधुसंघ अने तेना बंधारणना इतिहास उपर पुष्कळ प्रकाश पाडे तेवं छे. हवे पछी कोइने जैनसाधुसंघना बंधार नो इतिहास लखवो हशे तो तेने आ ग्रंथ जेटलो बीजो कोइ ग्रंथ भाग्ये ज महत्त्वनो थइ पडशे. तेनुं कारण ए छे के ए इतिहासमां उपयोगी थाय तेवा अनेक प्राचीन ग्रंथोनां नाम पाठ अने अर्थसहित आ एक ज'ग्रंथमा मळी शके तेवी गोठवण छे. | तेथी आगळ वधी आ ग्रंथनी महत्तामाटे ए पण उमेर जोइए के जेओ आवा विषयनो तुलनात्मक दृष्टिए अभ्यास करवा मागता होय तेओ माटे तो आ ग्रंथ अणमोल रत्न छे. जेओ आखी दुनीआना बधा धार्मिक संप्रदायो अगर फक्त भारतवर्षना धार्मिक संप्रदायोमा गुरुविषे शीशी मान्यता रहेली छे ?, कयो संप्रदाय गुरुविषे शुं माने छे ?, तेमां गुरुर्नु केटले अंशे अने कइ दृष्टिए स्थान छे?, गुरुनी संस्थानो इतिहास, ते संस्थाना नियमोपनियमो अने बंधारणनो इतिहास केवो केवो छे? ए बधुं तुलनात्मक दृष्टिए जाणवा इच्छे तेओने जैन संप्रदायतरफनी बधी माहिती एक ज साथे पुरी पाडनार तरीके आ ग्रंथ जेटलो बीजो कोई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ भाग्ये ज मळशे. वैदिक संप्रदायमा अने बौद्धसंप्रदायमां पण गुरुओनी संस्था छे. आ संस्थाओ जैनसंप्रदायनी गुरु| संस्थाने दुनियाना बीजा भागनी तेवी संस्थाओ करतां वधारे नजीक छे. एटले वैदिक संन्यासी परमहंस के परिव्राजक संस्थानो तेम ज बौद्धसामणेर के भिक्खुसंस्थानो जैन गुरुसंस्थासाथे मुकाबलो करवामाटे जैन गुरुने लगती बधी ज बाबतो प्रामाणिकपणे जाणवी जोइए. आ गरज आ एक ज ग्रंथथी सफलतापूर्वक सरे तेम होवाथी आनुं महत्त्व केटलुं छे ? ते तेना अधिकारीओ ज कही शकशे. एक बीजी दृष्टिए पण आ ग्रंथर्नु बहु ज महत्त्व छे ते भूलावु न जोइए. ते दृष्टि एटले प्रासंगिक विषयतुं परिपूर्ण ज्ञान मळवानी दृष्टि. जैन तत्त्वज्ञानमा स्याद्वाद, नय, प्रमाण, निक्षेप आदि विषयोनो समावेश थाय छे. आवा विषयो उपर खास खास V94 Main Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600159
Book TitleGurutattva Vinischaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani, Chaturvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1925
Total Pages540
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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