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________________ प्रवेशक रायपसेणइय सुतं ॥९॥ अने देशनी स्थिति विशे सारी समज आपे पq छे. आ उपरांत सूत्रनी संकलना करनारे सूत्रनी बधी हकीकत भगवान महावीरना मोढामां मूकेली छे. भगवान महावीर फरता फरता आमलकप्पामां आव्या छे, अने अंबसालवनमां अशोकवृक्षनी नीचे एक मोटी काळी शिलापाट उपर बेठा छे. त्यां एमनी पासे स्वर्गनो सूर्याभदेव पमने वांदवा आवे छे. आ प्रसंगने लईने संकलनाकारे भगवान महावीरनु शारीरिक वर्णन अने एमना आध्यात्मिक भाव बहु सरस रीते बतावेला छे. अने सूर्याभदेवर्नु वर्णन पण ठीक ठीक आपेलुं छे. सूर्याभदेवनुं वर्णन करतां तेना निवासरूप विमानना वर्णने आ सूत्रमा घणा पानां रोक्यां छे. वर्णनकारे सूर्याभदेवना विमाननी प्रत्येक वस्तुनु-नळियां, वळीओ सिक्खेनु-झीणवट भयु वर्णन कयु छे. आ वर्णन पटलु बधुं भरचक थई गयुं छे के सामान्य वांचनारना मन उपर कोई जातनी स्पष्ट आकारनी कल्पना आवी शकती नथी. तोपण जो कोई शिल्पशास्त्री आ वर्णन बहुज धीरज अने खंतथी वांचे तो जरूर तद्दन नवा प्रकारना एक मोटा महालयनी कल्पना करी शके, अने शिल्पविद्याने लगता केटलाक पारिभाषिक शब्दो पण मेळवी शके. एमांना केटलाक शब्दो तो गुजराती अने बीजी भाषामा सारी रीते प्रचलित छे जेमकेः मळमां 'अम्गला' भाषामा 'आगळियो' (पृ० १५८) मूळमां एक 'अम्गलापासाय' शब्द आवे छे जेनो शब्दार्थ 'आगळियानो महेल' एवो थाय छे. (पृ० १५८) ए अर्थ जोतां आ शब्द, बंध करती वखते आगळियो जेना उपर रहे छे ते लाकडाने बतावतो होय पम मालुम पडे छे. भाषामां आ वस्तुने कया शब्दथी संबोधे छे ते जाणवू जोईप. 'मूळमां' 'उत्तरंग' भाषामा 'ओतरंग' (पृ० १५७) मूळमां 'कवेल्लु गुजराती भाषामा 'कवलु'-नळियु (पृ० १५९) आ जातना घणा शब्दो मळे छे. एमांना केटलाक शब्दोना अर्थों गम्य थई शकता नथी. ___ आ सूत्रमा सूर्याभदेव भगवान महावीर पासे आवीने वादन, संगीत अने नाच करे छे अने पछी अभिनयात्मक नाटक करे छे. आने लगतुं वर्णन घणी सुंदर रीते आमां आपेलुं छे एमां संगीतनुं स्वरूप, संगीतना प्रकार, अनेक प्रकारनां वाद्यनां नामो, जुदा जुदा वाद्य वगाडवानी जुदी जुदी रीतो वगेरे हकीकत घणी विशद रीते मूळमां ज बतावेली छे. वादनविद्याविशारद अने संगीतविद्याविशारद माणस प तरफ ध्यान आपे तो घणुं ज न समजी शके एम छे. सूर्याभदेवे भगवान महावीरनी पासे बत्रीश प्रकारनुं अभि Jain Education emanal For Private Personel Use Only jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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