________________
प्रवेशक
रायपसेण इय सुत्तं
॥१०॥
नयात्मक नाटक करी बताव्युं छे. ए अभिनयोमा केटलाक अभिनयो प्राकृतिक छे. सागरना तरंगनो अभिनय, चंद्रना ऊगवानो अभिनय, सूर्यना ऊगवानो अभिनय, हाथीनी गतिनो अभिनय वगेरे अनेक विचित्र विचित्र अभिनयो बतावेला छे. तदुपरांत पमा लिपिना अभिनयो पण बताव्या छे. अने तेमा मात्र पांच वर्गना अक्षरोना अभिनयो नेधेिला छे. 'क'नो अभिनय पटले 'क'नी आकृति जेवो अभिनय करीने गान करवू, नाचवु अने बगाडवु. एज रीते बीजा बधा अक्षरोना अभिनय विशे समजवानुं छे. ए अभिनयमा स्वरोने, अन्तस्थ अक्षरोने अने श ष स ह ने स्थान नथी ते खास विचारवा जेवू खरं. भामांना केटलाक अभिनयोनां नाम भरतना नाट्यशास्त्रमा पण आवे छे. आनी नोंध में मारा भगवतीसूत्रना अनुवादना खण्ड बीजाना पृष्ठ ४४ मां टिप्पणमा आपी छे. नाटकनी अन्दर बत्रीशमुं अभिनयात्मक नाटक विशेष ध्यान खेचे एवं छे, पमा सूर्याभदेवे भगवान महावीरना जीवनना प्रसंगो अभिनयमा उतार्या छे. भगवाननी बालक्रीडा, भगवाननी कामभोगनी लीला, भगवाननी दीक्षा, भगवाननी तपश्चर्या, भगवाननी केवलज्ञाननी प्राप्ति, भगवानk तीर्थप्रवर्तन अने भगवाननुं निर्वाण आ प्रसंगोनो अभिनय करी बताव्यो छे. ज्यारे सूर्याभदेव भगवान पासे नाटक करवा आव्यो त्यारे तेणे भगवाननी ए माटे सम्मति मागी. भगवाने पने सम्मति न आपतां मौन राख्यु. सूर्याभदेवे बे-त्रण वार पूछयं, तो पण भगवाने मौन ज राख्यु. अने तेम छतां सूर्याभदेव तो नाटक करीने ज रह्यो.आ बधी हकीकत विशेष विचारणा मागे छे. आ जमानामां जेओ द्रव्यपूजाने वधू महत्त्व आपे छे तेओ आ तरफ वधू लक्ष्य करशे तो तेमने भगवानना मौननो खरो अर्थ समजाशे, विवरणकार मलयगिरिए भगवानना मौननो एवो अर्थ काढ्यो छे के गौतमादि श्रमणोने स्वाध्यायमां विघ्न आवे माटे भगवाने एने सम्मति न आपी. ज्यारे मलयगिरि जेवा आचार्य, भगवानना मौननो आवो अर्थ करे छे अने आवी भक्तिने साधुओने माटे स्वाध्यायनी विघातक समजे हे त्यारे अत्यारनी आ जातनी द्रव्यभक्तिनो प्रकार साधुओने माटे स्वाध्यायनो विघातक खरो के नहीं ये जरूर विचारणीय छे.
बीजं गमे तेम हो परन्तु प्राचीन काळनी अभिनयविद्या, संगीतविद्या अने वादनकळा उपर सूर्याभदेवना नाटकनुं प्रकरण ऐतिहासिक दृष्टिप विशेष प्रकाश पाडे एवं छे. माटे अभिनय विद्याना जिज्ञासुओ भरतर्नु नाट्यशास्त्र, आ प्रकरण, ए बन्ने साथे राखीने
Jain Education tema
For Private Personal Use Only
ainelibrary.org