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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार ज्यारथी राजा पएसीखें ध्यान राज्यकारभार अने विषयोपभोगो तरफ ओछु रहेवा लाग्यु-ओसरवा लाग्युं, त्यारथी तेनी रसीली । पएसीनो राणो सूर्यकांताने एवो विचार थयो के हवे कोइ शस्त्रप्रयोग, अग्निप्रयोग, मंत्रप्रयोग के विषप्रयोगद्वारा राजा पएसीने ठेकाणे करवो वैराग्य अने जोइए, राजकुमार सूर्यकांतनो राज्याभिषेक करवो जोइए अने मारे विविध विषयोपभोगोमां रस लेतां लेतां राज्यश्रीने संभाळता | | तेथी तेनी रहेवु जोइए. स्त्रीए तेने तेणीए आ पोतानो संकल्प राजकुमार सूर्यकांतने सूचव्यो अने राजाने मारी नाखी तेने राज्य सिंहासन आपवान जणाव्यु. ५ |मारवानी राज्यकमार सूर्यकांत पोतानी माताना तेवा क्रूर विचारमा संमत न थयो ते बाबत को उत्तर न आपतां मौन ज रह्यो. करेलो पोताना ए विचारमा राजकुमारनी असंमति जाणी तेणीने एम थयुं के रखेने राजकुमार तेना आ रहस्यनो मेद फोडी नाखे अने संकल्प राजाने बधु कही दे. आम विचारी तेणी राजा पपसीने मारवानो लाग शोधवा लागी, तेनां छिद्रो जोवा लागो अने हवे तेने शीघ्र मारी नाखवानी बाबतमां सावधान रहेवा लागी.. १०।१४। [२०३] एकवार लाग मळतां ज तेणीए राजा पएसीना खानपानमा, तेने पहेरवानां वस्त्रोमां, सुंघवानो माळाओमां अने तेना शणगारनां घरेणांओमां ""विष मेळव्यं. नाही धोई बलिकर्म करी जेवो राजा रसवती शाळामां जमवा आव्यो, तेवू ज तेने तेणीए ५ विषमय भोजन पीरस्यु, विषमय वस्त्रो पहेराव्यां, विषमय माळाओ आपी अने विषमय शणगार सजाव्यो. ११९ भोजनमां के पीणामां विष भेळवबानी कळा तो प्रख्यात छे, पण बस्त्रोमां सुंघवानी माळाओमा अने शणगारना सामानमां, न कळी शकाय ते रीते विष भेळववानी कळा ते काळे पण लोकोमा जाणीती हती ए जाणवा जेबी हकीकत छे. आजे पण एवा विषमय पोषाक | बने छे के जेने पहेरतां ज मरण नीपजे. Jain Education emelnal For Private & Personel Use Only wwlainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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