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________________ रायसेनइय सुत्तनो सार [१८०] केशी कुमार बील्या: हे पपसी ! पहेलां कोईवार तें चामडानी मसकमा १४ पवन भरेलो छे खरो ? वा भरावेलो छे खरो ? चामडानी खाली मसक अने पवनभरेली मसक ए बन्नेना वजनमां कांइ फेर पडे छे खरो ? ना, भंते ! फेर नथी पडतो. पसी ! खाली अने पवनभरेली मसकना वजनमां फेर न पडतो होय तो जीवतानुं अने मुडदानुं वजन फरक विनानुं ज होय ने ? जीव भारे नथी तेम हळवो य नथी, तेथी जीव नीकळी जतां मुडदानुं वजन घटे पम न बने, पटले एक सरखा वजनने लीघे तुं एम मानतो हो के जीव अने शरीर बन्ने एक ज छे, ते जरा य संगत नथी. ५ [१८१] पपसी बोल्यो: हे भंते ! कोई वार एक चोरने मारी पासे लाववामां आव्यो, 'तेमां जीव छे के नहि' प जाणवा में तेने चारे बाजु तपास्यो, पण जीव तो क्यांय दीठामां न आव्यो. पछी में तेना बे ऊभा चीरा करी तेने फरीवार जोयो, छतांय जीव तो न ज देखायो पछी तो थई शके तेटला तेना नाना नाना कटका करी तेने वारंवार तपासी जोयो, छतय तेमां क्यांय जीवनुं निशान पण न जणायुं. माटे हुं कहुं हुं के जीव अने शरीर एक छे पण जुदां जुदां नथी. ११४ आ मसकनुं उदाहरण बराबर छे खरं ? पत्रनथी भरेली मसकनुं वजन अवश्य वधे ज अने खाली मसकनुं वजन पवनथी भरेली मसक करता जरूर ओछे थाय ए तो आजे पण प्रत्यक्ष छे. जे पवन पोताना जबरदस्त आंचिकाथी मोटा मोटा तोतिंग वृक्षोने समूळ उखेडी नाखे छे, जे पवनथी भरेला डबा वा तुंबडा द्वारा आपणे तरी शकीए छोए ते पवननुं वजन न होय ए बने ज केम ? छतां 'पवननुं वजन नथी' एम जे अहीं कहलं छे ते कई दृष्टिए समजवु ए कळातुं नथी अथवा स्थूलदृष्टिए आम कहे होय. Jain Education International For Private & Personal Use Only पवनथी भरेली कोथलीमां १० अने खाली कोथलीमां वजननो फरक नथी माटे पवन नथी ? श रीरने चीरी चीरीने जोयां छतां जीव न १५ | जीव नथी भळायो माटे ॥१२९॥ www.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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