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रायपसेणइय सुत्तनो
सार
युवकना बाजा प्रकारना उदाहरण द्वारा
जीववाद
|॥१२७॥
[१७६] केशी कुमार बोल्या:
हे पपसी! कोइ एक बाणावली तरुण पुरुष, नवं धनुष नवी दोरी अने नवं वाण ए बडे एक साथे पांच बाणोने फेंकी शकवा जेटली कुशळता धरावी शके छे, पण ते ज पुरुष पासे जून खवाई गपलुं धनुष तेवी ज दोरो अने तेधुंज बूलु फलं होय, तो ते एक साथे पांच फळांने फेंकी शके खरो?
भंते ! न फेंकी शके.
हे पएसी! तरुण पुरुष शक्तिशाळी तो छे, परंतु उपकरणोनी न्यूनता-खामी-ने लीधे ने पोतानी शक्ति बताची शकतो नथी, तेम मंद ज्ञानवाळा बाळकमां आवडतरूप उपकरणनी खामी छे, माटे ते प अवस्थामा एक साथे पांच बाणने फेंकी शकतो नथी. हा, ते ज मंद ज्ञानवाळो बाळक ज्यारे तरुण थइ आवडतरूप उपकरण मेळवे छे, त्यारे तेमा एवी शक्ति खीली उठे छे, पण तेथी तुं एम न मान के शरीर अने जीव बन्ने एक छे. पपसी! ए बन्ने तो जुदां जुदां छे.
[१७७] पएसी बोल्योःबाळकमा छे तेवो ज आत्मा, ते बाळकनी युवावस्थामां पण छे. जो आम छे तो पछी जे काम बाळकनो आत्मा नथी करी शकतो ते काम तेज बाळकनी युवावस्थानो आत्मा केम करी शके ? व्यवहारमा तो एबुं जोवामां आवे छे के जे काम बाळकनो आत्मा नथी करी शकतो ते काम तेनी युवावस्थानो आत्मा करी शके छे. बन्ने अवस्थामां-बाळ अने युवान अवस्थामा एक ज व्यक्तिनो आत्मा एक ज होय अने ते नित्य होय-एक सरखो ज अवस्थामा रहेतो होय, तो ए घटना न बनी शके, माटे राजा पएसी कहे छे के आत्मा अने शरीर जुदा जुदा नथी. राजा पएसीने मते तो बाळकनुं शरीर अशक्त छे. माटे जे काम ते न करी शके ते ज काम ते बाळकनुं युवान शरीर जरूर करी शके, शरीर तो बदलाया करे छे माटे तेने मते आत्मा अने शरीर एक ज छे, ए कल्पना, उदाहरणथी ते समजावे छे.
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