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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार हे पएसी! तुं एम समज के शिखरना घाटनी घुम्मटवाळी एक मोटी ओरडी होय, जे चारे कोर लींपेली होय, जेनां बारणां सञ्जड बंध सज्जड वासेला होय अने जेमां जराय हवा पण न पेसी शके पवी ते उंडी होय, तेमां कोई पुरुष भेरी अने एने वगाडवानो दंडो करेला घरलइने पेसे, पेसीने एनां वारणां सज्जड रीते बंध करे, पछी ते, ओरडीनी वच्चोवञ्च बेसीने मोटा मोटा अवाजथी ए मेरीने बगाडे, तो हे पएसी! मेरीनो ए अवाज बहार नीकळे खरो? मांथी जेम हा, भंते ! नीकळे. शब्द बहार हे पएसी! ए ओरडीमा क्यांय एक पण काणुं छे खरूं? आवे छे ना, भंते, ए ओरडीमां क्यांय पण काणुं नथी. तेम सञ्जड हे पपसी! एज प्रमाणे, वगर काणानी ओरडीमांथी पण अवाज बहार नीकळी शके छे, तेम वगर काणानी कुंभीमाथी जीव पण बंध करेली बहार नीकळी शके छे, अर्थात् पृथ्वीने शिलाने के पर्वतने मेदीने सोसलं जवानु सामर्थ्य जीवमां छे, माटे तेने गमे त्यां पूरवामां कुंभीमांथी आवे तोपण ते बहार नीकळी ज जवानो. एथी तुं एम समज के जीव अने शरीर जुदां जुदां छे पण ए बन्ने एक नथी. जीव नीक[१७३] वळी, पएसी बोल्यो: ळी शके छ हे भंते ! जीव अने शरीर जुदा जुदा नथी पण एक ज छे पवी मारी धारणाने टेको आपतो आ बळी एक दाखलो सांभळोः मरेलो चोर मारा कोटवाळोप पकडी आणेला चोरने हुँ जीवथी मारी नाखू, पछी ते मारी नाखेला चोरने लोढानी कुंभीमां पूरी दर्ड, तेना उपर मजबूत ढांकणुं बेसारी, तेने रेवरावी अने पाकी चोकी बेसाडी दउं; पछी वखत जतां ते लोढानी कुंभी उघाडी जोऊ ९ तो । | कृमिरूप तेने कीडाओथी खबदती कुंभी जेवी भालु छ. प कुंभीमां क्यांय राई जेटलुंय काणु नथी, छतां एमां एटला बधा कीडा क्याथी पेसो गया? अजीववाद हुई तो पम समजु टु के शरीर अने जीव एकज छे, माटे शरीरमांथी ज ए बधा नीपज्या होचा जोइए. शरीर अने जीव जुदा जुदांसार२५॥ 1१५थयोछे माटे Jain Educatie Inmational For Private & Personel Use Only Tww.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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