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रायपसेणइय सुत्तं
प्रवेशक
॥५॥
प्रस्तुत नाइली शाखा अने नंदीस्त्रमा सूचवेलु नागिलकुल ए वन्ने एक छे. ब्रह्मद्वीपिक शाखाना उद्भावक आर्य समिअनो समय | वीरात् छहो सैको कही शकाय. अने नागिल शाखाना उत्पादक श्रीवज्रसेननो समय वीरात् सातमो सैको गणी शकाय. पटले नागिल शाखानो समय पण वीरात् सातमो सैको ठरे. आ नागिल शाखामां थयेला भूतदिन आचार्यना शिष्य लोहित्यसूरि अने ते पछी थयेला दृष्यगणिना शिष्य देववाचक.
आ गणना द्वारा नंदीसूत्रना प्रणेता देववाचकनो समय वीरात् आठमो वा नवमो सैको सहजे ठरावी शकाय. आ गणनाने साची मानवाने बाध न होय तो प्रस्तुत रायपसेणइअनो समय वीरात् नवमा सैका करतां य पहेलो आवे पटले रायपसेणइअने विक्रमनी पांचमी शताब्दी करतां य पूर्वनुं मानी शकाय. आ एक गणना.
नंदीसूत्रमा जैन ग्रन्थो उपरांत वैदिक परंपराना कौटिल्य, घोटकमुख वैशेषिक, षष्टीतन्त्र, माठर, पातंजल वगेरे ग्रन्थोनां नामो पण आवे छे. अने ग्रन्थ तरीके 'बुद्धवचन' नो पण उल्लेख आवे छे. एटले नंदीसूत्रना प्रणेता, माठर अने पतंजलि पछीज होई शके. आ गणनाने आधारे प्रस्तुत रायपसेणइअनो समय माठर अने पतंजलि पहेलांनो ठरे अथवा समसमय पण कही शकाय. आ बीजी गणना.
रायपसेणइअमां पपसी राजानी साथे सम्बन्ध धरावती जे बधी हकीकत आवे छे तेने ज मळती हकीकत त्रिपिटिकमांना दीघनिकायमां पायासी राजाना नाम साथे संकळायेली आजे पण उपलब्ध छे. अने तेमा राजा पसेनदीए आपेल राजदेय भागने राजा पायासी भोगवे छे, ए हकीकत पण आपेली छे. ए बधु जोतां दीघनिकायमा आबेली हकीकत अने रायपसेणइअमां आवेली हकीकतनो समान समय कल्पी शकाय, अने ते पण राजा पसेनदीनो जे समय निश्चित थयो होय. ते आ श्रीजी गणना. ___ आ त्रीजी गणना ग्रन्थनी हकीकतना समय उपर प्रकाश पाडे छे, परन्तु ते हकीकत ग्रन्थरूपे लिपिबद्ध क्यारे थई ए विशे कशं सूचवी शकती नथी, ए ख्यालमा रहे.
देवद्धिंगणि क्षमाश्रमणे जैन आगमोने वोरात् ९८० मां एटले विक्रमात् छट्ठा सैकामां लिपिबद्ध कर्या के संकलित कर्या पवो मत |
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