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रायपसेणइय सुत्तनो
सार
लाखो योजनो करोडो योजनो अने लाखोकरोडो योजनो ऊंचे ऊंचे दुर जईप त्यारे त्यां सौधर्मकल्प नामनो कल्प जणावेलो छ, प कल्प पूर्व पश्चिम लांबो, उत्तर दक्षिण पहोळो, आकारे अर्धचन्द्रसमान संस्थित छे, किरणोना प्रकाशथी झगझगतो छे, तेनी लम्बाई
१९७विमापहोळाई असंख्य कोटानुकोटि योजन छे अने तेनो घेरावो पण तेटलो ज छे,
नना प्राकासौधर्मकल्पमां सौधर्मदेवोना बत्रीश लाख विमानावासो होय छे एम का है. ए बधा विमानावासो सर्वरत्नमय दर्शनीय अने
रनुं वर्णन असाधारण सुन्दरतावाळा छे.
ते विमानोनी वच्चोवञ्च पांच अवतंसको जणावेला छे. अशोक अवतंसक, सप्तपर्ण अवतंसक, चम्पक अवतंसक, चूतक अवतंसक अने बच्चे सौधर्मावतंसक. ए पांचे अवतंसको पण सर्वरत्नमय सुन्दरतम छे.
एमांना ते सौधर्मावतंसक महाविमानथी पूर्वे तीरछु असंख्य लाख योजन आगळ वधीप त्यारे त्यां सूर्याभदेवतुं सूर्याभ नामर्नु विमान जणावेलु छे. ए विमाननी लम्बाई पहोळाई साडाबार लाख योजन छे अने घेरावो ओगणचाळीश लाख बावन हजार आठसो अड़तालीश योजन छे.
[९७] सूर्याभदेवना प विमाननी फरतो चारे बाजु एक मोटो प्राकार-गढ़ छे. ए गढ त्रणसे योजननी उंचाइए छे. मूळमां तेनी ॥६७॥ पहोळाई सो योजन, वच्चे पचास योजन अने छेक उपर पचीस योजन छे अर्थात् ए गढ मूळमां पगतो-पहोळो वच्चे सांकडो अने टेक उपर वधारे पातळो छे. गढनो आकार गायना पूंछडा जेवो छे अने ते आखोय गढ सर्वकनकमय अच्छो मनोहर छे.
ए गढनां कांगरां अनेक प्रकारना काळा जीला लाल पीळा अने धोळा पम पांचे रंगोथी शोभितां छे. ते एक एक कांगरूँ, लम्बाइमां एक योजन, पहोळाईमा अरधुं योजन, अने थोडं माठेरुं योजन उंचाईमां छे. ते बघां कांगरां सर्व प्रकारनां रत्नोमांथी बनावेला १५ हे-बट्ठ रमणीय छे.
[२८] सूर्याभदेवना ते विमाननी एक एक बाजुप हजार हजार बारणां होय छे पम कहेलु छ अर्थात् ते विमानने पूर्व पश्चिम
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