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________________ रायपसेण इय सुत्तनो सार ॥६५॥ [८६] उत्क्षिप्त पादवृद्ध मंद अने रोचित्र एम चार प्रकारचें संगीत गाएल. [८७] अंचित, रिभित, आरभट अने भसोल पम चार प्रकारे नृत्य करेलुं. [८८] दार्शतिक प्रात्यंतिक सामान्यतोपनिपातनिक अने लोकमध्यावसानिक पम चार जातना अभिनयो भजवी बतावेला. [८९] हवे ते देयकुमार अने देवकुमारीओ गौतमादिक श्रमण निर्गथोने ए वत्रीशे प्रकारचें दिव्य नाटक देखाडी तथा श्रमण भगवान महावीरने त्रण प्रदक्षिणा दई तेमने वांदी नमी जे तरफ पोतानो अधिपति सूर्याभदेव हतो ते तरफ गयां अने हाथ जोडी ५ पोताना प अधिपतिने जय विजयथी यधावी तेओए जणाव्यु के आपे करेली आशा प्रमाणे अमे श्रमण भगवान महावीर पासे जई बत्रीशे प्रकारचें ए दिव्य नाटक देखाडी आव्यां. त्यारवाद ए सूर्याभदेव पोतानी ते दिव्य देवमायाने संकेली लई एक क्षणमां पकलो-हतो तेवो एकाकी बनी गयो. पछी ते श्रमण भगवान महावीरने प्रण प्रदक्षिणा दई वांदी नमी पोताना पूर्वोक्त परिवार साथे ए दिव्य यान विमान उपर चडी ज्यांची आव्यो हतो ७९ प्रस्तुत 'उत्क्षिप्त' वगेरे शब्द उपरथी संगोतना आ चार भेदो समजाय एवा छे पण तेनी विशेष माहिती तो कोई संगीतविशारद | १० पासेथी ज जाणी लेवी जोइए. ८० मूळकारे अभिनयना आ चार प्रकार बतावेला छे, दार्टान्तिक अभिनय ते कोई प्रकारना दृष्टांतनो अभिनय. २ 'प्रत्यंत' नो अर्थ 'म्लेच्छदेश' छे ("प्रत्यन्तो म्लेच्छमण्डल:" अभिधान चि० कां० ४ ग्लो० १८). भोट वगेरे देशोने म्लेच्छदेश गणेला छे. ए देशना लोकोनो हेमना आचारनो के ए देशना कोई प्रसंग वगेरेनो अभिनय ते प्रात्यंतिक अभिनय. ३ सामान्य प्रकारनो अभिनय ते सामान्योपनिपातिक अने लोकना मध्य के अंत संबंधी अभिनय ते लोकमध्यावसानिक अभिनय. अभिनयना प्रकारसूचक ते ते शब्दनो आ तो शब्दार्थमात्र छे. परंतु ते विशे विशेष समजवा माटे अभिनयविशारदो अने नाट्यशास्त्रद्वारा जाणी लेवु जोइए. Jain Education indThatilal For Private Personel Use Only Newonelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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