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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार ॥५८|| भाग जेवो सर्व प्रकारे सर्व बाजुथी एकसरखो एवो एक भूभाग सज्यों, तेमां रूप, रस, गंध अने स्पर्शथी सुशोभित पूर्वे वर्णवेला एवा अनेक मणिओ जडी दीधा, सर्व बाजुथी एकसरखा भूमंडळमां वच्चोवञ्च तेणे एक प्रेक्षागृह रच्यं-नाटकशाळा खडी करी. ए || नाटकशाळा, तेमां बांधेलो उल्लोच-चंदरवो, अखाडो अने मणिनी पेढली ए बधार्नु वर्णन आगळ कहेवाइ गयुं छे, तथा मणिनी ए भक्तिपूर्वक पेढली उपर सिंहासन, छत्र वगेरे जे आगळ वर्णवाइ गयुं छे ते बधु बराबर गोठवी दीg. नाच करी [५७] त्यारपछी ए सूर्याभदेव श्रमण भगवान महावीरना देखतां तेमने प्रणाम करे छे अने 'भगवान मने अनुज्ञा आपो' एम कही ५ वाली पोते यांधेली नाटकशाळामां तेमनी-तीर्थकरनी-सामे उत्तम सिंहासनमां बेसे छे. | सूर्याभनी त्यारबाद बेसतां वेत तेणे अनेक प्रकारनां मणिमय कनकमय रत्नमय विमल अने चकचकतां कडां पोंची बेरखां वगेरे आभू. तैयारी षणोथी दीपतो ऊजळो पुष्ट अने लांबो एवो पोतानो जमणो हाथ पसार्यों. एना ए जमणा हाथमांथी सरखां वय लावण्य रूप अने यौवनवंता, सरखां नाटकीय उपकरणो अने वस्त्राभूषणोथी सजेला, खभानी वन्ने बाजुमां उत्तरीय वस्त्रथी युक्त, डोकमां कोटियु अने शरीरे कंचुक पहेरेला, टीलां अने छोगां लगावेला, चित्र विचित्र पट्टावाळां अने फुदडी फरतां जेना छेडा फेण जेवा उंचा थाय पवी छेडे-कोरे-मूकेली झालरवाळा रंगबेरंगी नाटकीय परिधान पहेरेला, छाती अने कंठमां पडेला एकावळ हारोथी शोभायमान अने नाच करवानी पूरी तैयारीवाळा एकसो ने आठ देवकुमारो नीकळ्या. [५८] एज प्रमाणे सूर्याभदेवे पसारेला डावा हाथमाथी चंद्रमुखी, चंद्रार्धसमान ललाटपट्टवाळी, खरता तारानी नेम चमकती भाकृति वेश अने चारु शृंगारथी शोभती, हसवे बोलवे चालवे विविधविलासे ललित संलापे अने योग्य उपचारे कुशळ, हाथमां वाचाळी, नाचकरवानी पूरी तैयारीवाळी अने बराबर ए देवकुमारोनी जोडीरूप पवी पकसो ने आठ देवकुमारीओ नीकळी. [५९] पछी ए सूर्याभदेवे शंखो१, रणशिंगांर, शंखलीओ३, खरमुखीओ४, पेयाओ५, पीरपीरिकाओ६, पणवो-नानी पडघमो७, __७४ वाघोना जे जे नामो अहीं आपेलां छे तेमांना केटलांक स्पष्ट समजातां नथी. लोकगम्य कहीने टीकाकारे तेमनी व्याख्या जती For Private & Personel Use Only Jain Education Temelleal wwlainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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