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________________ रायपसेणइय सुचनो सार ॥४४॥ करवा लाग्यो, केटलांक जिनभक्तिना रागने लीधे अने केटलांक भगवान पासे जवानो पोतानो धर्म छे, आचार छे, पम समजीने सज थवा लाग्यां. आ प्रमाणे अनेक प्रकारनी वृत्तिथी उत्साहित थपला ते देवो अने देवीओ पोतपोतानी ऋद्धि समृद्धि अने परिवार २८ एक साथे तैयार थइ पोतपोताना यान विमान सज्ज करी घरावर वखतसर सूर्याभदेवनी समक्ष हाजर थयां. मोटा यान4 [२८] पोते करेली सूचना प्रमाणे बरावर बखतसर हाजर थएला ते देवो अने देवीओने जोइने सूर्याभदेव खुशखुश थइ गयो. विमानने पछी तेणे पोताना आभियोगिक देवोने बोलावीने आ प्रमाणे काः 'हे देवानुप्रियो! लाख योजनमा विस्तारवालु एक भोटुं यान ५ रचवानी विमान तमे जलदी तैयार करी, ए मोटा विस्तारवाळा यानमां सेंकडो स्तंभो गोठववाना छे, एमां जात जातना हावभाववाळी अनेक आज्ञा फूतळीओ जडवानी छे; ज्यां त्यां शोभे ए रीते वरु, वृषभ-बळद, घोडा, मनुष्य, मगर, पक्षी सर्प के वाघ, किन्नर, शरभ चमरी गाय, हाथी, वनवेलो अने कमळवेलो, ए बधुं चीतरवार्नु छ, थांभलाओ उपर वज्रनी वेदिकाओ बनाववानी छे, विद्याधर अने विद्याधरीनुं जोडलं जेमा फरतुं देखाय एवां अनेक यंत्रो ते विमानमां गोठववानां छे, हजारो किरणोथी सूर्यनी पेठे झगारा मारे एबुं हजारो रूपकोथी युक्त पर्बु ते विमान रचवानुं छे, अने जोनारनी आंखने शीतळ करे एवं, अडकनारना हाथने सुख उपजावनालं, १० देदीप्यमान, सुंदर, देखावडु, टांगेली अनेक घंटडीओना मधुर रणकारावाळु, दिव्य प्रभाववाढु अने वेगवाळी गतिवाळु ए, ए यान विमान शीघ्र तैयार करवानुं छे. हे देवो! तेवा ते यान विमानने तैयार करीने तमे मने जलदी समाचार आपो." [२९] आभियोगिक देवोने सूर्याभदेवे पूर्वोक्त प्रकारच् यान विमान बनाववानी आज्ञा करी तेथी तेओ खुश थया अने ए आज्ञाने नेमणे विनयपूर्वक माथे चडावी. पछी तेओ उत्तरपूर्वना खूणा तरफ गया, त्यां जईने तेमणे वैक्रियसमुद्घात कर्यो अने ते द्वारा संख्येय योजन लांबो दंड काढ्यो, जाडा पुद्गलोने मूकी सूक्ष्म पुद्गलोने लीधां, वळी फरीवार पण वैक्रियसमुद्घात कों अने पछी ते आभिः योगिक देवो दिव्य एवा ते विमान बनाववानी प्रवृत्तिमा लागी पडया. ६९ जुओ टिप्पण ५५ मुं. पृथ्वीपरना लोको अने पृथ्वीथी विशेष ऊंचे रहेता देवो ए बन्नेना मानसमां झाझो फेर जणातो नथी.. For Private Personel Use Only Jain Education internal witljainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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