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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार Jain Educatio भरेला मोटा घडाद्वारा कोई बगीचाने छांटे अने तेने शांतरज- शीतळ करे तेम ते देवोप प पाणीभरेलां वादळद्वारा प स्वच्छ करेल भूमंडळ उपर सुगंधी पाणी वरसावी-छांटी त्यां उडती धूळने बेसारो दीधी-तेने शांतरज-शीतळ बनावी दीधुं. पाणीने वरसावतो मेघ जेम गाजे छे अने वीजळीथी झबके छे तेम ते देवोए रचेलुं प पाणीभरेलुं वादळ पण पाणीने वरसावतुं गाजतुं हतुं अने वीजळीथी चमकतुं हतुं. [२३] वळी, श्रीजीवार वैक्रियसमुद्धात करी ते द्वारा ते देवोप फूलभरेलां वादळनी रचना करो. जेम कोइ माळीनो कुशल युवान पुत्र फूलभरेली चंगेरीओद्वारा राजसभाने पुष्पोथी मघमधित करी दे तेम ते देवोप मेघनी पेठे गाजता अने वीजळीथी झवकता ए फूलभरेलां वादळद्वारा पाणीथी सुगंधित करेली ए भूमि उपर पांच प्रकारनां पुष्पोने वरसावी तेने चारे वाजुथी महेक महेक करी मूकी अने जमीनथी उंचे एकपक जानु-हाथ सुधी उपराउपर पुष्पोथी खीचोखीच भरी दीधी. ते पुष्पो पण तेमणे एवी रीते वरसाव्यां के दरेक पुष्पनुं डिटियुं नीधुं रहे अने कळीभोवाळो भाग उपर रहे. २२ भूमंडल उपर पाणी छांट२३ फूलो वरसाव्यां ॥४१॥ त्यारपछी, पुष्पोथी मघमघता प भूमंडळने केम जाणे सुगंधनो महासागर न बनाववो होय तेम ए देवोप त्यां चारे बाजु उत्तम १० काळो अगर, उत्तम किनरु अने तुरुक्कनो सुगंधी धूप मूकी तेने घणुं ज सुगंधित करी मूक्युं अने एवी रीते करी ते स्थळे देवो पण आवी शके एवं तेने आकर्षक बनावी दीधुं. [२४] हवे आ बधुं भूमिशुद्धिने लगतुं काम फ्तावी ते देवो श्रमण भगवान महावीर तरफ आव्या, त्यां आवी तेमने वांदी नमी त्यांथी पोताना स्थान भणी जवा नीकळ्या. जे जातनी वेगवती प्रचंड गतिथी तेओ आव्या हता ते ज गतिद्वारा जता तेभ सौधर्मकल्पने सत्वर पहोंची गया. त्यां जे तरफ सूर्याभनामनुं विमान हतुं अने सुधर्मा सभामां से तरफ सूर्याभदेव विराजेलो हतो त्यां जई तेमणे सूर्याभदेव तरफ विनयपूर्वक हाथ जोडी माथु नमावी 'सूर्याभदेवनो जय थाओ विजय थाओ' पयो प्रघोष कर्यो अने तेमणे सेने जणावयुं के "हे महाराज ! आपे अमने भगवान महावीरना ऊतारानी आसपासना भूमंडळने शुद्ध अने सुगंधित करवानी For Private & Personal Use Only w.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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