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________________ रायसेनइय सुनो सार अने नगरीथी बहार ईशानखूणा तरफना अंबसालवण चैत्यमां पूर्ववणित वनखंडथी विराजित अशोक वृक्षनी नीचे आवीने ऊतर्या, त्यां तेओ यथोचित अवग्रह धारण करी पूर्वाभिमुख थई प काळी शिलापाट उपर पर्यकालने रही संयम अने तपथी आत्माने तेओनुं कुळ ते ज्ञात कुळ अने तेओनो वंश ते ज्ञात वंश ) महावीरनो जन्म वैशालीमा ( पटणाथी २७ माइल उत्तरे अत्यारनुं बसार ) क्षत्रियकुंडमां थयो हतो. तेमना मातापिताए तेमनुं नाम वर्धमान राख्युं हतुं ते श्रीश वर्षना थतां तेमनां मातापिता मृत्यु पाम्यां. त्यारबाद मोटा भाइनी रजा लई तेमणे प्रत्रज्या ठीधी, अने बार वर्ष तपश्चर्या अने ध्यानमा गाळ्या बाद स्थितप्रज्ञपशुं प्राप्त करें. त्यारपछी तेओ श्रीश वर्ष सुधी उपदेश आपता जीव्या, अने बहोंतेर वर्षनी उमरे इ. स. पूर्वे चारसो सोनी आसपासमा तेओ वर्तमान बिहार पासे पावापुरीमा निर्वाण पाया. श्वेतांबरी तेमज दिगम्बरो बन्नेने महावीर स्वामी तीर्थकर तरीके सरखा ज मान्य होवा छतां तेमना जन्मनी अने विवाहनी हकीकत तथा समयादि विषे बन्नेमा मतभेद छे. तेमनां बीजां नाम आ प्रमाणे छे:-वर, चरमतीर्थकृत, देवार्य, ज्ञातनदन, वैशालिक, सन्मति, महतीवीर, अंत्यकाश्यप, नाथान्वय (ज्ञातान्वय); बौद्ध ग्रन्थोमां तेओ दीर्घतपस्वी निग्गंठ नातपुत तरीके प्रसिद्ध छे. ३६ आ शब्द निवासस्थानना ग्रहणनी मर्यादा सूचवे छे. जैन परिभाषामा आनो बीजो अर्थ 'सामान्य ज्ञान' एवो पण प्रसिद्ध छे, परंतु अहीं तो आनो अर्थ 'ग्रहणनी मर्यादा' घटे एम छे. घरघणीनी संमति मेळवीने रहेवा माटे घरने ग्रहण करवुं, संमति मल्ये घरमा ऊतरवु ('घर' शब्द उद्यान वाडी बगीचो खेतर पहाड झाड वगेरेनो सूचक समजवानो छे) ए भावने अवग्रह शब्द सूचवे छे. शास्त्रकार अवग्रहना पांच प्रकार बतावे छे: इंद्रावग्रह, राजावग्रह, गृहपति अवग्रह, गृहस्वामिअवग्रह अने साधर्मिकावग्रह. अर्थात् कोइ निवासस्थानमा रहेवुं होय त्यारे इन्द्र, राजा, गृहपति- मांडलिक, गृहस्वामी अने पोतानो साधर्मिक एमनी संमति मेळवीने एमना निवासमा रहेवुं उचित छे. एओनी संमति मळ्या विना एमना निवासमा रहेनुं दोषजनक छे. ३७ ज्या ज्यां तीर्थंकरोनी रहेवानी वात आवे छे त्यां बधे तेओ पूर्वाभिमुख थइने बेसे छे एवं लखेलुं होय छे. पूर्व दिशामां सूर्य होय Jain Education Intentional For Private & Personal Use Only ॥१७॥ www.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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