SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 395
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार ॥७॥ जन होय ! ५ चैत्यमां नटो, नाचनाराओ जल्लो, मल्लो, मौष्टिको, विदूषको, कूदनाराओ, तरनाराओ, ज्योतिषिको, रास लेनाराओ, भांडो, कथा करनाराओ, चित्रपटने बतावनाराओ, तूण अने तुंबवीणाने वगाडनाराओ, भुजगो-भोगी-शोखी-जनो अने मगधो-भाटो वगेरे रहेता हता. ५ चैत्य घणा लोकोमा अने अनेक देशोमां प्रख्यात हतुं, घणा आहोता लोको त्यां आहुति देवा, पूजा करवा," वंदन करवा अने नमन करवा आवता, घणा लोकोर्नु ए सत्कारर्नु, सन्माननु अने उपासनानुं स्थान हतुं, कल्याण अने मंगलरूप पवा देवता संबंधी शब्द 'तुर्कस्तान' सूचक छे एटले ज तुर्कस्तानमा नीपजता धूप माटे पण एज शब्दनो उपयोग मूरकार करे छे. आ रीते आपणो तुर्कस्तान साथेनो सम्बन्ध केटलो प्राचीन छे ते समजी शकाय एम छे. तुरुष्क तुरुक्क-तरक. "तुरुको यवनदेशजः"-३ कांड, श्लोक ३१२. "तुरुष्कास्तु साखयः स्युः" ४ कांड, लोक २५-अभिधानचितामणि-हेमचंद्र मुसलमान बादशाहो 'शाहि'-'शाह' तरीके बहु प्रसिद्ध छे. आचार्य हेमचंद्रे ए 'शाह' शब्दनु संस्कृत 'साखि' बनाव्युं छे अने तेनी संस्कृत | व्युत्पत्ति पण आपेली छे. फारसी शब्दोने बिना संकोचे संस्कृतमा उतारवानी प्रथा शिष्ट लोकोमा आजथी केटलाय वर्षों पूर्वे पण प्रचलित हती एम आ उपरथी समजी शकाय एवं छे. १६ चैत्यर्नु आ वर्णन जोता, ते भारे गम्मतनुं स्थान पण होय एम लागे छे. केटलोक कथाओमा चैत्यने 'जुगारीओनो अखाडो' 'युवान युवतीओनां मीलननु स्थान' 'अभिसारिकाओनुं संकेतस्थान ए रीते वर्णवेलं छे, ते उपर्युक्त वर्णन जोतां बंध बेसे एवं छे. १७ चैत्य, उक्त रीते मोजशोखनु स्थान हतुं छतां त्यां पूजाआहुति वगेरे माटे घणा लोको आवता ऐम आ वर्णन सूचवे छे. चैत्यमा १५ | भुजग लोको रहे अने धर्मविधिओ पण चाले ए परिस्थितिथी, ते समयना आपणा लोकोनी मनोदशा ठीक ठीक व्यक्त थइ शके एम छे. For Private Personel Use Only Mainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy