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________________ रायसेनइय सुतं ॥३६॥ Jain Education Inthanes कंडिका विषय विनती अने पपसी अधार्मिक होवाथी चित्तनी ए विनंतिनो अस्वीकार १५४ वीजा केटलाय गृहस्थो आपनो आदर करशे माटे परसीथी आपने शुं काम छे ? एम कही चित्ते सेयविया आववा केशिने करेलो आग्रह १५५ केशिश्रमणना आदर माटे चित्ते पोताना उद्यानपालकोने करेली भलामण १५६ चित्त सेयविया जईने राजा परसिने मळ्यो १५७ केशीकुमार भ्रमण सेयविया पहोंच्या अने चित्तसारथिना माळीओप तेमने सत्कार्या १५८ चित्तसारथि केशीकुमार पासे गयो १५९ चित्ते तेमने राजा परसीने धर्मबोध आपवा विनंती करी. धर्म सांभळवानी तक मळवा अने न मळवा बाबत कुमारभ्रमणनुं विवेचन केशीश्रमण १६० घोडानी परीक्षाने व्हाने राजा पएसीने पासे लई जवानो चित्तनो संकल्प कंडिका विपय १६१ चित्तसारथी पपसीने भ्रमण पासे लई गयो १६२ केशीश्रमणने जोईने राजा पपसीने धरली अरुचि १६३ चित्तसारथिए राजा पपसीने आपली केशीश्रमणनी ओळखाण १६४ भ्रमण अने राजा बच्चेनी वातचीत १६५ श्रमणनी विद्वत्ता विशे राजाप करेली पडपूछना उत्तरमां श्रमणे करेलुं पोताना ज्ञाननुं विवेचन १६६ 'जीव अने शरीर जुदां जुदां छे' एवो केशीश्रमणनो मत १६७ जीव अने शरीर जुदां जुदां होय तो मारो अधर्मी दादो श्रमणना कहेवा प्रमाणे नरके गएलो होवो जोईए अने एम होय तो ते त्यांथी मने नरकन दुःख बाबत सूचना करवा केम न आवे ? आजसुधी नथी आव्यो माटे जीव अने शरीर जुदां जुदां नथी पण एक छे १६८ भ्रमणः पपसी ! तारी पट्टराणी साधे जारकर्म करनारने तुं सखतमां सखत सजा करे अने एवी सजानो For Private & Personal Use Only विषयानु क्रम www.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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