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________________ प्रवेशक रायपसेण प्रवेशक इय सुत्तं ॥३॥ वैदिक परंपरानुं मूळभूत शास्त्र 'वेदो' छे, जरथोस्ती परम्परानुं मूळभूतशास्त्र 'अवेस्ता' छे, बौद्ध परंपरानु मूळभूत शास्त्र पाली 'त्रिपिटक' छे, तेम जैन परंपरानुं मूळभूत शास्त्र द्वादशांग 'गणिपिटक' छे. मूळ जैन आगमो बार अंगोमां बचायेला ः १ आयार, २ सूयगड, ३ ठाण, ४ समवाय, ५ वियाहपण्णत्ति, ६ नायाधम्मकहा, ७ उवासगदसा, ८ अंतगडदसा, ९ अणुत्तरोषवाइअदसा, १० पण्हावागरण, ११ विवाग अने १२ दिहिवाय. समवायमां अंगसूत्रोनो परिचय आप्यो छे त्यां अने नंदीस्त्रमा (पृ० २०९ थी २६६ सुधी) आ बारे अंगोनो सविस्तर परिचय आपेलो छे. वर्तमानमा अगियार अंग उपलब्ध छे अने बारमुं अंग-दिट्टिवाय आज घणा वखतथी विच्छेद पामेलुं छे. तथा जे अगियार अंगो उपलब्ध छे ते पण जेवां हतां तेवां ने तेवां ज आजे छे पम न कही शकाय.' ___ उक्त बार अंगो उपरांत वीजा पण अनेक जिनआगमोनी विद्यमानतानो उल्लेख नंदीसूत्रमा मळे छे. आर्य श्रीदृष्यगणिना शिष्य १ दाखला तरीके आचारांगसूत्रनुं सातमुं अध्ययन 'महापरिणा' उपलब्ध थतुं नथी. प्रश्नव्याकरणनो नंदिसूत्रमा जेत्रो परिचय आप्यो छे ते रीते ए विषयो एमां उपलब्ध थता नथी. आगमनां पदोनी संख्यामा घणो घटाडो थइ गयेलो छे. नंदीसूत्रना उल्लेख प्रमाणे ज्ञाताधर्म कथामा साडात्रण क्रोड कथाओ हती. आ उल्लेख कदाच अतिशयोक्त होय तो पण अत्यारे ए सूप्रना मात्र बीस ज अध्ययन मळे छे ते जोतां एमा घणो घटाडो थयो लागे छे. walr.jainelibrary.org Join Educati o n For Private & Personal Use Only
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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