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________________ रायपसेणइय सुतं Jain Education आ ग्रन्थनुं संशोधन करती वखते में मूळ पाठनो निर्णय विवरणने आधारे ज करेलो छे भने ज्यां विवरण नथी त्यां अर्थष्टो अने हस्तलिखित प्रतोनो आधार लीघेलो छे. समितिवाळी आवृत्तिमां छापेल मूळ घणे स्थळे विवरणनी साथे मेळ खातुं नथी, त्यां विवरणनी प्रतीको विशेष प्रामाणिक मानी मूळ तरीके राखेली छे अने ज्यां मूळ अने विवरणनो दूर न करी शकाय एवो विसंवाद छे त्यां कांई पण फेरफार कर्यो नथी, परन्तु टिप्पणमां मूळ अने विवरणना पाठभेदनो उल्लेख कर्यो छे. वळी केटलेक स्थळे केवळ विवरण ज छे, पण मूळपाठ उपलब्ध नथी त्यां जीवाजीवाभिगमनो आधार लईने ते मूळपाठ टिप्पणर्मा टांकी बताव्यो छे. आचार्य मलयfire faarai घणी जग्याए लख्युं छे के अहीं घणो वाचनाभेद छे, अहीं घणो पाठभेद छे, ए हकीकत खास खास स्थळे टिप्पणमां स्पष्टीकरण साथै जणावी छे. वाचनाभेदने लगता टीकाकारना उल्लेखो जोतां एम जणाय छे के घणे स्थळे आ सूत्रमां बहु पाठभेद थह गयेलो होवो जोईप. ज्यां सुधी आवा भिन्न भिन्न पाठो विशे चोक्कस निर्णय न थई शके त्यांसुधी कोई पण जातनुं पृथक्करण कर्या सिवाय के पाठान्तरो आप्या सिवायनुं आगमोनुं मुद्रण के उत्कीर्णीकरण (पत्थरमां कोतरखं ते) पुरातत्त्वनी दृष्टिए विश्वासपात्र न लेखाय. शुद्ध साहित्यनी दृष्टिप आगमोनुं मुद्रण कर होय तो कोई पण जातनो आग्रह राख्या सिवाय तेमनुं संशोधन थ जोई. अने ते संशोधन करवा माटे आगमना अनेक अभ्यासीओए मळीने अनेक प्रतिओनो उपयोग करचो जोइए. उपरान्त मूळपाठना शुद्धीकरण माटे आगमनी निर्युक्ति, भाग्य, चूर्णि अने टीकानो खास आधार लेवावो जोईए. तेम करवा छतां य ज्यां मूळ अने नियुक्ति वगेरेमां जे कांई भेद जेवुं जणाय तेनी पण नोंध लेबावी जोईए. समितिए जे आगमो छपावेला छे ते सारी रीते शोधाया ज नथी. तेमां पाठांतर, प्रस्तावना, परिचय के अर्थभेदने लगतां टिप्पणो वा टीकामां आवेला अवतरणोनुं स्पष्टीकरण वगेरे कशुं ज आपवामां आव्युं नथी. पटलुंज नहीं पण मूळ पाठ पण विनकाळजीथी छपायेलो छे. आ संबंधी विशेष विस्तारथी लखवानुं के उदाहरण आपत्रानुं आ स्थळ नथी, छतां मात्र जाणनी खातर एक चे उदाह रणो आपीप छीपः For Private & Personal Use Only प्रवेशक ||२७|| jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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