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चरित्रम्
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पुहरीक
दीक्षा तथा तेमने भिक्षानी अप्राप्ति, कच्छ महाकच्छ, नमि अने विनमि, श्रेयांसकुमारनु दान, तक्षशिलाना उद्यानमा पाहु-8 बलिने प्रभुनो समागम न थवो, प्रभुने केवळज्ञान थया पछी मरुदेवा माताने लइने भरतराजानुं वंदन माटे जवू, मरुदेवा माता- सिद्धिगमन, पुंडरीकस्वामीनी दीक्षा अने गणधरपदनी स्थापना विगेरे वर्णवेला छे.
सर्ग २ जो-भरतराजानो दिग्विजय, भरत चक्रीना अट्टाणु भाइओनी दीक्षा, बाहुबलि साथे युद्धनी तैयारीनुं 8 वर्णन आपेल छे. ..सर्ग ३ जो-भरत अने बाहुबलिनु युद्ध. बाहुबलिने केवळज्ञान, ऋषभदेव- स्फटिकाचळ उपर गमन भरतमहाराजे फरेलु साधर्मिक वात्सल्य, भरतराजाए करेला चार वेदो, भरत पुत्र मरीचिनोमद, भरतमहाराजनुं चोवीश जिनना नामवाल्लं 8 बार श्लोकनुं वीतराग स्तोत्र, पुंडरीकस्वामीए पोताने केवळज्ञानना संबंधमां करेलो प्रश्न. प्रभुनी आज्ञानुसार पुंडरीकस्वामीनु 8 विमळाचळ प्रत्ये गमन वर्णवेला छे.
सर्ग ४ थो—विहार करता पुंडरीकस्वामीनं पोतनपुरना उद्यानमा आगमन, त्यां मौन रहेल रत्नचूडराजा साये १४ मुनिचंद्र नामना मंत्रीरों आगमन, मंत्रीए राजाना मौन थवाना संबंधमां करेल प्रश्न, पुंडरीकस्वामीए कहेल दान महिमा प्रद.8 18शित राजानो पूर्वभव, ते रत्नचूडराजानं पांच हजार मंडलिक राजाओ साथे दीक्षा ग्रहणनं वर्णन.
. सर्ग ५ मो-पुंडरीकस्वामीन चंपापुरीमा आगमन, लक्ष्मीधरराजा चंद्रना छत्र सहित प्रभुने वंदन करवा आवद्यु, हरिणगमेषोदेवे ते राजाने चन्द्रनं छत्र प्राप्त थवानं पूछेलं कारण, पुंडरीकस्वामीए कहेल शियळ अने तप महिमा प्रदर्शित करनार लक्ष्मीधरराजानो पूर्वभव, एंशी लाख मंडळीकराजा साथे लक्ष्मीधरराजाए लीधेली दीक्षानुं वर्णन.
सर्ग ६ हो-पुंडरीकस्वामी- गजपुरनगरमां आगमन, त्यां सोमयशाराजानुं विजयसेन मंडळीकराजा तथा गुणाराम
200000000000000 POORNOON
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