________________
*
****
तत्तअइचंगं । गिण्हेइ चंदलेहा सावयवयनिवहमइसुहयं ॥ २०४॥ तत्तो रायाइजणो जहसत्तीए गहित्तु नियमाई।
नमिउं च सूरिरायं नियनियगेहेसु संपत्तो॥२०५॥ पञ्चतिहीए संविग्गमाणसा नियघरेऽवि सलिलेहा । वयनिवहटू पालणकए समचित्ता पोसहं लेइ ॥२०६॥ एगंमि दिणे गिण्हइ सा निचलमाणसा गिरिवरं व। काउस्सग्गं अंतरस-४
मग्गरिउवग्गदुग्गहरं ॥२०७॥ तम्मि खणे देवीओ दुन्निवि सम्मत्तमिच्छदिट्ठीओ ।तं निचलझाणत्थं दटुं वण्णेइ सम्मसुरी ॥ २०८ ॥ सुरअसुरकिन्नराविहु एयं धम्माउ चालिउं न खमा। इय सुणिय मिच्छदिट्ठी सुरी भणइ पिच्छ मे किच्चं ॥२०९॥ तीए संखोहकए विउविया रक्खसा महाघोरा । कित्तियहत्था मुहनिस्सरंतजालालिविकराला ॥२१० ॥ सेले अवि फोडता उच्चसरेणं भणंति ते दुट्ठा। उज्झसु एयं धम्म अन्नह तुमयं गलिस्सामो ॥२११॥
अहवा उज्झिय सावयधम्म अम्हाण पायपउमाई। पूयसु अइभत्तीए मुत्तिसुहाणं कए मूढे !॥२१२ ॥ सा ससिइलेहा निच्चलदेहा तवयणवजपहयावि । नवि संमत्तं खंडइ मंडणमिव मुणइ तग्घाए ॥२१३ ॥ जाव न रक्खसभीया
नियनियमं भंजए महासत्ता । पवणाहयच मेहा खणमि ते ताव य विलीणा ॥ २१४ ॥ तत्तो मत्ता करिणो हरिणोवि विउविया महाघोरा । उवसग्गेहिं ताणवि न य खलिया सा सझाणाओ॥२१५॥ केसेसुं धरिऊणं दुल्लुलियनिवं सुराण मायाए। दंसिय तं पइ जंपइ सा दुट्टा धिट्ठविंतरिया ॥ २१५॥ रेरे मुद्धि ! पमुंचसु एयं मे अग्गओ कवडधम्म । अन्नह तुह पाणपियं एवं मारिस्समविकप्पं ॥ २१७ ॥ सा तं सुणिउं अवलंबिऊण मोणं विसेसझाणपरा। चिट्ठइ
*R
I CANA
Jan Education intonal
For Privale & Personal use only
dainelibrary.org |