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________________ तस्स नामं मे अजो इअ जणसमक्खं ॥ ६९॥ मायंद इवुजाणे वस॒तो सत्थवाहगेहम्मि । अम्मापिऊण परमं जणेइ पिम्मं स मेअजो ॥ ७० ॥ उवझायमुहाउ कलापीउसं पिअइ सो जहिच्छाए । उजाणाइसु कीलइ समवयनियमिदत्तपरियरिओ ॥ ७१॥ संपत्तो य कमेणं तरुणीयणनयणकोइलरसालं । मयणसरपसरलीलाउजाणं जुवणं एस ॥७२॥ पिउणा तस्स करग्गहहेउं तत्थेव अट्ट कन्नाओ । इन्भाणं गहियाओ रइपीइसमाणरूवाओ॥ ७३ ॥ अह पुवमित्त देवो आभोएऊण ओहिणाणेणं । तं नियमित्तं बोहाइ परं न बुझेइ कम्मवसा ॥ ७४ ॥ तो सो तियसो चिंतइ जा हादुक्खेसुं न ठावइस्सामि । ताव न धम्मे सम्म करिस्सइ उजमं एसो ॥ ७५ ॥ तो तियसो मेयस्स य तप्पिउणो आविसेइ देहम्मि । इत्थंतरंमि सोऽविहु मेयजो वरहयारूढो ॥ ७६ ॥ परियणकलिओ अइफारसारसिंगारभासुरसशरीरो । पाणिग्गहणनिमित्तं चलिओ अद्विभकन्नाणं ॥ ७७ ॥ जुयलं । वजिरतूरवहिं पूरंतो अंबरं अविहवाणं । तह धवलमंगलेहिं सो पत्तो जाव रायपहं ॥ ७८ ॥ता तत्थ दुहावि सुराविडो मेओ स तं महारूवं । पिक्खिवि अकंदंतो भणई पासट्ठियं भजं ॥ ७९ ॥ जइ सा न मुया हुंति मह दुहिया पिययमेऽहुणा तीए । एवं मयावि करगह-18 महुस्सवो निम्मिओ इंतो ॥ ८० ॥ इत्थीसहावचवलत्तणेण साऽणुलिया पियं भणइ । मा रोवसु एसोऽविहु तुह। तणओ पिय ! न संदेहो ॥ ८१ ॥ मेओ विनायतत्तो धाविय रोसेण तं पए गहिउं । पाडेइ तुरंगाओ मयमत्तमयंगओब दुमं ॥८२॥ तं पुण एवं तजइ धिद्धि रे पाव ! मेयजाओऽवि । मलिणीकुणेसि किं अइनिम्मलकुलसंभवे लोए| Hamn Education For Privale & Personal Use Only M ainelibrary.org
SR No.600143
Book TitleSamykatva Saptati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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