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________________ सू० २७३-२७४। श्रीस्थानाङ्ग सूत्रदीपिका वृत्तिः । ॥२८॥ ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ पं० त०-पुत्ता बहुपुत्तिया उत्तमा तारगा, एवं माणिभद्दस्सवि, भीमस्स ण रक्खसिंदस्स रक्खसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० त-पउमा वसुमई कणगा रयणप्पभा, एवं महाभीमस्सवि, किंनरस्सण किनरिंदस्स चत्तारि अग्ग० पंत-वडेंसा केतुमई रइसेणा रइप्पिया [०८पभा], एवं किंपुरिसस्सवि, सप्पुरिसस्सण किंपुरिसिंदस्स० चत्तारि अग्ग० ५० त०-रोहिणी णवमिया हिरी पुप्फवती, एवं महापुरिसस्सवि, अतिकायस्स ण महोरगिंदस्स चत्तारि अग्ग० ५० त०-भुयगा भुयगवई महाकच्छा फुडा, एवं महाकायस्सवि, गीतरतिस्स ण गंधविदस्स चत्तारि अग्ग० ५० त०-सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सती, एवं गीयजसस्सवि, चंदस्स ण जोतिसिंदस्स जोइसरण्णो चत्तारि अग्ग० ६० त०-चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमालिणी पभंकरा, एवं सूरस्सवि, णवर सूरप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, इंगालस्स ण महागहस्स चत्तारि अग्ग० ५० त-विजया वेजयंती जय ती अपराजिया, एवं सब्वेसिपि महागहाण जाव भावकेउस्स, सक्कस्स ण देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारणो चत्तारि अग्ग० ५० त०-रोहिणी दमणा (मयणा)चित्ता सोमा, एव जाव बेसमणस्स, ईसाणस्स ण देविंदस्स देवरपणो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्ग० ५० त०-पुढवी राई रयणी विज्जू , एवं जाव वरुणस्स [सू०२७३] । चत्तारि गोरसविगईओ पं० त०-खीर दहिं सप्पिणवणीय, चत्तारि सिणेहविगईओ पं० त०-तेल्ल घय वसा णवणीय, चत्तारि महाविगईओ पंत-महु मंस मज्ज णवणीय' (सू० २७४) । चत्तारि कूडागारा पंत-गुत्ते णाम एगे गुत्ते, गुत्ते णाम एगे अगुत्ते, अगुत्ते णाम एगे गुत्ते, अगुत्ते णाम एगे अगुत्ते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-गुत्ते णाम एगे गुत्ते ४, चत्तारि कूडागारसालाओ पं० त० गुत्ता णाम एगा गुत्तदुवारा, गुत्ता णाम ॥२८॥ Jain Education For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600142
Book TitleSthanang Sutra Dipika Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalharsh Gani, Mitranandvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1974
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size23 MB
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