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________________ హరి श्रीस्थानाङ्ग सू०१२। सूत्रदीपिका वृत्तिः । ॥२८॥ హరించి శిశిశిశిశిశిశిశిశిరించి మరింత శాంతం जम्बूद्दीवस्स ण दीवस्स वेइया दो गाउयाइ उद्ध उच्चत्तेण पन्नत्ता । लवणे ण समुद्दे दो जोयणसयसहस्साइ चक्कवालविक्खंमेण पन्नत्ते । लवणस्स ण समुदस्स वेइया दो गाउयाई उद्ध उच्चत्तेण पन्नत्ता । (सूत्र ९१) धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धण' मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरदाहिणेण दो वासा पत्ता वहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव परवए चेव, एवं जहा जम्बुद्दीवे तहा पत्थवि भाणियव्व जाव दोसु वासेसु मणुया छविहंपि काल पच्चणुभवमाणा विहरंति, त०-भरहे चेव एरवए चेव, णवरं कूडसामली चेव धायइरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे सुदंसणे चेव, धायइसंडपच्चत्थिमद्धे ण भंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेण दो वासा पन्नत्ता, बहु० जाव भरहे चेव परवए चेव जाव छविहंपि काल पच्चणुभवमाणा विहरंति, णवर कूडसामली चेव महाधायईरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पियदसणे चेव, धायईसंडे ण दीवे दो भरहाई दो परवयाई दो हेमवयाई दो हेरन्नवयाई दो हरिवासाई दो रम्मगवासाई दो पुवविदेहाई दो अवरविदेहाई दो देवकुराओ दो देवकुरुमहद्दुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ दो उत्तरकुरुमदुमा दो उत्तरकुरुमहदुमवासी देवा दो चुलहिमवंता दो महाहिमवंता दो णिसढा दो णीलवंता दो रुप्पी दा सिहरी दो सद्दावाती दो सद्दावातवासी साती देवा देो वियडावाती दो वियडावाईवासी पभासा देवा दो गंधावाई दो गंधावाईवासी अरुणा देवा दो मालवंतपरियागा दो मालवंतपरियागावासी पउमा देवा दो मालवंता दो चित्तकूडा दो पम्हकूडा दो णलिणकूडा दो एगसेला दो तिकूडा दो वेसमणकूडा दो अंजणा दो मायंजणा दा सोमणसा दो विज्जुप्पभा दो अंकावई दो पम्हावई दो आसीविसा दो सुहावहा दो चंदपव्वया दो सूरपव्वया दो णागपव्वया दो देवपब्वया दो गंधमायणा दो उसुयारपव्वया, दो चुल्लहिमवंत कूडा दो वेसमणकूडा देो महाहिमवंतकूडा दो वेरुलियकूडा दो णिसढकृडा दो रुयगकूड़ा दो णीलवंतकूडा दो उवदंसणकूडा दो 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 ॥२८॥ Jan Education For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600142
Book TitleSthanang Sutra Dipika Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalharsh Gani, Mitranandvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1974
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size23 MB
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