________________
Jain Education
उवहाणविहिपगरणमिणं जहा -- पंचनमोक्कारे किल दुवालसतको ५ उ होइ उवहाणं । अट्ठ य आयामाई ७ ॥ एवं तह अट्टमं अंते ॥ १ ॥ ( १२ ) एयं चिय नीसेसं इरियावहियाएँ होइ उवहाणं । सक्कत्थयंभि अट्टममेगं बत्तीस आयामा || २ || अरिहंतचेइयथये उवहाणमिणं तु होइ कायव्यं । एगं चैव चउत्थं तिन्नि य आयंबिलाणि तहा ॥ ३ ॥ एगं चिय किर छटुं चउत्थमेगं तु होइ कायव्वं । पणवीसं आयामा चउवीसथयमि उवहाणं ॥ ४ ॥ एगं चैव चउत्थं पंच य आयंबिलाणि नाणथए । चिइवंदणाइसुत्ते उवहाणमिणं विणिहिं ॥ ५ ॥ | अव्वावारो विगहाविवज्जिओ रोहझाणपरिमुक्का ! विस्सामं अकुणंतो उवहाणं कुणइ उवउत्तो ॥ ६ ॥ अह कहवि होइ बालो बुडो वा सत्तिवज्जिओ तरुणो । सो उवहाणपमाणं पूरेज्जा आयसत्तीए ॥ ७ ॥ राईभोयणविरई दुविहं तिविहं चउव्विहं वावि | नवकारसहियमाई पच्चक्खाणं विहेऊणं ॥ ८ ॥ एगेण सुद्धआयंबिलेण इयरेहिं | दोहिं उववासो | नवकाररसहिएहिं पणयालीसाऍ उपवासो ॥ ९ ॥ पोरिसि चवीसाए होइ अबहिं दसहिं उववासो । विगईचाएहिं तिहिं एगट्टाणेहि य चऊहिं ॥ १० ॥ आयरणाओ नेयं पुरिमड्डा सोलसेहिं उववासो । एगासणगा चउरो अट्ट य बेकासणा तहय ॥ ११ ॥ भयवं ! पभूयकालो एव करिंतरस पाणिणो होज्जा । तो
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org