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________________ सत्तममहिनेरइए, तेऊ वाऊ असंखनरतिरिए । मुत्तण सेसजीवा, उप्पजंती नरभवंमि ॥ १९९॥ सुरनेरइएहिं चिअ, हवंति हरिअरिहचक्किबलदेवा । चउविहसुर चक्किवला, वेमाणिअ हुंति हरिअरिहा ॥२०॥ हरिणो मणुस्सरयणाई, हुंति नाणुत्तरेहिं देवेहिं । जह संभवमुववाओ, हयगएगिंदिरयणाणं ॥ २०१॥ वामपमाणं चकं, छत्तं दंडं दुहत्थयं चम्मं । वत्तीसंगुल खग्गो, सुवण्णकागिणि चउंगुलिआ ॥ २०२॥ चउरंगुलो दुअंगुलपिहलो अ मणी पुरोहिगयतुरया । सेणावइगाहावईवडइथीचक्रियणाई ॥ २०३॥ चक्कं धणुहं खग्गो, मणी गया तहय होइ वणमाला । संखो सत्त इमाई, रयणाई वासुदेवस्स ॥ २०४॥ संखनरा चउसु गईसु जति पंचसुवि पढमसंघयणे । इग दु ति जा अट्ठसयं, इगसमए जंति ते सिद्धिं ॥२०५॥ वीसित्थि दस नपुंसग, पुरिसट्ठसयं तु एगसमएणं । सिज्झइ गिहि अन्न सलिंग, चउ दसट्टाहिअसयं च ॥२०६॥ गुरुलहुमज्झिम दो चउ, अट्ठसयं उड्डहोतिरिअलोए। चउबावीसट्ठसयं, दु समुद्दे तिन्नि सेसजले ॥ २०७ ॥ नरयतिरिआगया दस, नरदेवगईउ वीस अट्ठसयं । दस रयणासक्करवालुयाउ चउ पंकभूदगओ ॥ २०८ ॥ छच्च वणस्सइ दस तिरि, तिरित्थि दस मणुअ वीस नारीओ। असुराइ वंतरा दस, पण तद्देवीउ पत्तेअं॥२०१॥ जोइ दस देवि वीसं, विमाणि अट्ठसय वीस देवीओ। तह पुंवेएहितो, पुरिसा होऊण अट्ठसयं ॥२१॥ सेसभंगएसुं, दस दस सिझंति एगसमयंमि ॥ विरहो छमास गुरुओ, लहु समओ चवणमिह नत्थि ॥२११॥ in Education in For Privale & Personal use only new.jainelibrary.org
SR No.600134
Book TitleSangrahani Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1915
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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