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________________ SONGRECRUSOCTOUCRORIES उजिंत-सेल-सिहरे, दीक्खा-नाणं-निसीहिआ जस्स; तं धम्म-चक्कवत्ति, अरिह-नेमि नमसामि. [आर्या ] जेना दर्शीत देवना न्हवणथी नाठी जरा-यादवी, जेना मातली-सारथी रथ-तणी फेरी सुरक्षा करी; जेणे नाजुक नार राजुळ तजी वैराग्यना रंगथी, एवा श्रीजगदीश नेमिजिनने बंदुं सदा आदरी ॥१॥ श्रीहंसविजयजी शेठ देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंडना उद्भवनो इतिहास. जेमनी स्मृतिने अर्थे आ फंड स्थापवामां आव्युं छे ते शेठ देवचंद लालभाई झवेरीए पोताना मृत्युपत्रमा रू. १००००० (एक लाख)नी रकम विलथी जाहेर करी निराळी तपशील मुजब नीचे प्रमाणे शुभकार्योमा खर्चवा माटे पोताना ट्रस्टीओने फरमाव्यु हतुं. २०००० जूनां दहेरासरोनो जीर्णोद्धार करवामां. ( आ रकम शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढी मारफते, ए पेढीनी पण एटली ज रकम उमेरावीने, राणकपुरजीना धन्नाशाह पोरवाडना जगप्रसिद्ध त्रैलोक्यदीपक' दहेरासरना जीर्णोद्धारमा शेठ देवचंदना ट्रस्टीओए भाईश्री गुलाबचंदनी देखरेख नीचे खरचेल छे. वि० सं० १९७११७२ लगभग.) वै०प्र० 5642% Jain Education a l For Private &Personal use Only Miainelibrary.org
SR No.600132
Book TitleVairagya Shatakadi Granth Panchakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1941
Total Pages172
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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