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________________ श्राद्धप्रतिसूत्रम् ॥७९॥ हामिला। देवोनि कोवि धणिओ पयडीहोऊण तो गिण्हे ॥ ९०॥ अन्नह सबह दुस्सहहअवहजालं व नावि १४गाथालिमि। बहभवसुलहत्थकए को मालइ दुलहनिअनिअमं? ॥९॥ को मुत्तकए हारं हारह कीलिअकए विहारं लाया तृतीच। चंदणमिंधणकज्जे ठिकरिअकए य कामघडं। ९२॥ तुह अप्पिअंपि एअंनह गिण्हे जं तुमंपिनो धणिओ। याणुनते अन्नस्सवि दिनाए एआए हुज किं पुन्नं ! ॥९३ ॥ नयअजिअदविणाणं दाणं अप्पंपि होइ सपमाणं । अणय वसुदत्त धजिआण ताणं दाणं सुबहंपि अपमाणं ॥९४॥ परधणगहणा पावो पावं दावं वचिणइ तंपि। तद्दाणप्पजला ण नदत्तकथा उवसमह तं तेण अपमाणं ॥९५॥ तुज्झवि इमंमि वित्तंमि नेव चित्तं पवत्तिउं जुत्तं । परविहवस्सऽहिलासो १७५-२०३ ऽविह दुहरासीण आवासो ॥९६॥ जओ-"पाणेहिंतोवि पिओ अत्थो पुरिसाण तो कुणतेणं । परधणहरणं मरणं विदितेसिं न संदेहो ॥९७॥" एकस्स चेव दुक्खं हणिजमाणस्स हवइ खणमित्तं । जावजीवं दुसहं सपुत्तपोत्तस्स धणहरणे ॥९८॥ अन्नं च-"सुविवेइत्ति मए तुह सुवुद्धिदाइत्ति तं कओ मित्तं । तो कह देसि कुबुद्धि कुबुद्धिदाणं हि महपावं ॥९॥” भणिअंच लोइएहिवि कहाणयं इह य वाहहरिणीणं । वागुरपडिआ हरिणी|| दीणमुही वाहरइ वाहं ॥ २०॥ थणजीविअतणयाहं किं मं गिण्हेसि वाह ! वहहे । सो आह अहं छुहिओ छुहिओ पावं न किं कुणई ॥१॥ ता मं मुंचसु इक्कसि जह गंतुं निअसुआण छुहिआणं । थणपाणं कारित्ता ॥७९॥ | सयमेव पुणो इहागच्छे ॥२॥ तीए एवं बुत्ते इहयं को पचओत्ति सोपभणइ । तो सा सवहे विविहे विहेइ नहु कहवि मन्नइ सो॥३॥ दुब्बुद्धिदाणसवहो अह विहिओ तीइ मन्नए तो सो। सावि जहिच्छिअठाणं गंतुं लहु मन संदेहो ॥ ९७. विवेइत्ति मा तह डॉणयं इह य बाहहार in Education ICT For Private Personal Use Only ainelibrary.org
SR No.600129
Book TitleShraddh Pratikraman Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1919
Total Pages474
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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