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भी भगवती
अवचूरि
सूत्र
एवं संपयसमओं जं समयं खेत्तपञ्जवन्मत्यो । तेणाणता समया, भवंति एक्केक्कसमयंमि ॥१६॥ ज सबलोगदब्ब,-पएसपज्जवगणस्त मइयस्स । लमह समयक्खेत,-प्पएसपज्जायपिंडेणं ॥१७॥ एवइ समरहि गएहि, लोगपज्जवसमा समयसंखा । लन्मइ अहिंपिय, तत्तियमेत्तेहिं तावइया ॥१८॥ एवमसंखेज्जेहिं, समयेहिं गएहिं तो गया होति । समयानो लोगदव,-प्पएसपज्जायमेचाओ ॥१९॥ इय सबलोगपज्जव,-रासोओ वि समया अणंत गुणा । पावंति गणिज्जंता, कि पुण ता पोग्गलहितो । २०॥ एतो समयेहितो, होति विसेसाहियाई दवाई । जं मेया सब्बे चिय, समया दबाई पत्यं ॥२१॥ सेसाई नीषपोग्गल,-धम्माऽधम्मंचराई छढाई। दवट्ठाए समएसु, तेण दवा विसेसहिया ॥२२॥ आहवासमयाणं, किं पुण दवट्ठए व नियमेणं । तेसिं पएसट्ठाविहु, जुज्जा खधं समासज्ज ॥२३॥ सिद्धं खंधो दध्वं, तदवयवा विय जहा पएसति । इस तव्वत्तो समया, होति पएसा य दव्वं च ॥२४॥ भण्णइ परमाणूणं, अभोगमवेक्ख खंधया सिद्धा। अद्धासमयाणं पुण, अन्नोनावेक्खया नस्थि ॥२५॥ अद्धासमया जम्हा, पचेयत्तेय खंधमावे य । पत्तेयवत्तिणो चिय, ते तेणऽनोन्ननिरवेक्खा ॥२६॥ एतो सबपएसा, गंतगुणा खप्पएसणंतता । सव्वागासमणतं, जेण जिणिदेहि पण ॥२७॥
॥१८॥
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