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श्री भगवती
सूत्र
॥९६॥
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एसो
भावो
गरिसो
पदमे
केवली
उवसामउ
खवउ
वितिए
केवली
पंचमे
रियावच वपढम उब सामगो, बितिते तयागओ खवगो अहक्खय खबओ
संपत्तो सव्वे अक्खाया दोवरिम वट्टमाणो संपत्तो
ततिए
उत्थे उवसामतो सिद्ध
सेलेसी
सत्तमो
वृद्धो
ततितो उवसामतो
पंचमे
उव सामग
स्ववग
अमो
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ཝཱ ,
सुण्ण
संपरावि
सप्तमेन कालभवि
उव सामग
स्वगो
अमे
अमोक्खी
गणा
कपोग
सवेतो
सपञ्जवसियं भव्वरस
अणाति अपज्जवसियं अभव्वस्स
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