SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगुणचंद महावीरच० ३ प्रस्तावः ॥ ३३ ॥ Jain Education अजवि वि सपुरिसा पयंडभुयदंडदलियपडिवक्खा । गिण्हंति परस्स महिं अम्हे न नियंपि रक्खामो ॥ ४० ॥ भग्गुच्छाहं रिउवग्गनंदणं मुक्कचित्तवद्वंभं । निवडियसहं च सीमंतिणीओ जणयंति किं पुत्तं ? ॥ ४१ ॥ ता पुत्त ! पत्तकाल अवजसपंकप्पसमणगजलकप्पं । जरविहुरंगरसायणमहुणा सरणं रणे मज्झ ॥ ४२ ॥ एवं च रण्णा सिट्टे को दट्ठोट्टपुडो उट्टिऊण निवडिओ चरणेसु कुमारो, विन्नविउमाढत्तो य-ताय ! मुंह कोवसंरंभ, केत्तियमेत्तो सो दुरायारो ?, नहि लीलादलियमत्तमायंगकुंभत्थलो केसरी समोत्थरइ गोमाउयं, निय| कुलसिलोच्चयसमुच्चसिहरदलणदुल्ललियं निवडइ एरंडकंडे सहस्सनयणकुलिसं, नेव य पडिपुण्ण मंडलहरिणंकदिणयरकवलणलालसो गिलइ तारयजालं गहकल्लोलो, ता पसीयह विरमह तुम्हे देह ममाएसं अवणेमि तुम्ह पसाएण तस्स धटुसोंडीरिमस्स भुयदंडकंडुं, न य अम्हारिसेसु विजमाणेसु जुत्तमेयं तायस्स, तुम्ह पयावोच्चिय साहेइ कज्जाई । तहाहि पुव्वमहासेलुच्छंगसंगिणो उग्गमे व सूरस्स । दूरदिसिपसरियंपि हु तिमिरं किरणच्चिय हति ॥ ४३ ॥ गंभीरगहिरघोसा विवरंमुहवाहि उग्गवइनिवहा । आगयगयाई रयणायरस्स वेलञ्चिय करेइ ॥ ४४ ॥ उन्भडदंडुड्डामरविलसिरवरपत्तकोसगन्भाई । हिमगिरिणो कमलाई हणंति पवणुयतुसारा ॥ ४५ ॥ For Private & Personal Use Only प्रयाणं कुमारविज्ञप्तिव. 11 33 11 lainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy