SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 638
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगुणचंद महावीरच० ८प्रस्ताव तुर्याणुव्रते सुरेन्द्रदत्त. कथायां शुभंकराख्यानं. SANSARDARSAX वणदुट्ठमक्कडी तडतडत्ति पुच्छच्छडाहिं ताडती । तत्तो विडंबियमुही नीहरिया घुरुहुरंती सा ॥४॥ जुम्मं । आ कीस चंदवयणे! करेसि रोसंति वाहरंतो सो। चुंवणवंछाए मुहं तदभिमुहं जाव संठवइ ॥५॥ पढमं चिय ताव तडत्ति तोडिओ तिक्खदसणकोडीहिं । तीए नासावंसो मूलाओ चिय समग्गो सो॥ ६ ॥ तयणंतरं च अइतिक्खनक्खनिवहेण दारियं अंगं । आमूलाओ उम्मूलियावि सवणावि से ताए ॥७॥ अणिवारियपसराए एवं तीए हणिजमाणेण । तेण भयकंपिरेणं वाहरियं गुरुसरेणेवं ॥ ८॥ रे रे धावह सिस्सा! उग्घाडह मंदिरस्स दाराई । एस पिसाईऍ अहं निजामि जमस्स गेहम्मि ॥९॥ इय एवं वाहरंतो भयवससंखुद्धमाणसो धणियं । तायारमलभमाणो नहदंसणुलिहियसबंगो ॥१०॥ रोसुक्कडाए वणमक्कडीए पुणरुत्तघुरुहुरंतीए । तह विणिहओ वरागो जह सो पंचत्तमणुपत्तो ॥ ११ ॥ अह उग्गयंमि दिणयरे समागया तस्स सीसा, कया तेहिं सहा, न देइ सो य पडिवयणं, तओ विहाडियाई कवाडाई, दिट्ठो विणट्ठजीओ सुहंकरो, सावि वणमक्कडी उग्घाडिएसु कवाडेसु पलाइऊण गया जहागयं, सीसेहिवि अमुणियपरमत्थेहिं कओ सुहंकरस्स सरीरसकारो। इय भो कुमार! विसयाउराण अप्पुन्नवंछियट्ठाणं । निवडंति आवयाओ पयडंचिय जेण भणियमिमं ॥१॥ सलं कामा विसं कामा, कामा आसीविसोवमा । कामे पत्थेमाणा, अकामा जंति दुग्गइं ॥२॥ ॥३०९॥ Jain Educati o nal For Private & Personel Use Only Klainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy