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________________ Jain Education आणेज्जासित्ति, एवं च नरिंदायरं पेच्छिऊण पडियमगेण, कालकमेण नियमंदिरसुवागओ सचस्स परिकहेइ, अनया य चवलत्तणओ लच्छीए उदयत्तणओ अंतराइयकम्मस्स अप्परविणो जाओ सबसेट्ठी, तओ तेण चोडविसयगमणाय पुट्ठो पभाकरनरिंदो, अणुन्नाओ य तेण, तयणंतरं च उचियाई महत्वाई महरवाई विविहभंडाई गहिऊग भाउणा समं गओ चोडविसयं सच्चसेट्ठी, तदागमणं च निसामिऊग तुट्ठो चोडराया, दवावियं निवासमंदिरं, पूइओ उचियपडिवत्तीए अत्तणो य समीवंमि धरिओ कइवयवासराई, अह विणिवट्टिए भंडे गहिए सदेसपाउग्गे पडिमंडे चोडविसयाहिवइ मणुजाणाविऊण समारूढो नावाए सच्चसेट्ठी, अणुकूलपवणपेलियम हल्लधयवडविवद्दियावेगा। गंतुं जत्रा पयट्टा नियपुरहुत्तं तओ नावा ॥ १ ॥ हियं आरूढा ते जाव पलोयंति को उहल्लेण । अनिलुलुलंत कलोल भी सणं जलहिपरंतं ॥ २ ॥ तावनियतुंगिमाविहियविंझगिरिविग्भमो लहुं दिट्ठो । सलिलोवरिं वदंतो अतुच्छदेहो महामच्छो ॥ ३ ॥ तं बलदेवेण जंपियंस पचओ एत्थ । इंताणं नासि जओ ता तुम्मे मग्गप भट्ठा ॥ ४ ॥ निजामगेहिं भणियं न पञ्चओ एस किंतु मच्छोत्ति । सो चेव अयं मग्गो वामोहं कुह मा सामि ! ॥ ५ ॥ बलदेवेण भणियं अहं पुण इहं चेव विविहमंडपsिहत्थं जाणवत्तं हारेमि जइ मच्छो होज्जा, एवं च उभय| पक्खेहिवि सच्चसेट्ठि सक्खि काऊण विहिया होड्डा, ते य निजामगा पडिवेडएग गंतु मच्छयपिट्ठिमि परिक्ष For Private & Personal Use Only elibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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