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________________ गाढविम्हयक्खित्तनरनियरपलोइजमाणा य तिपयाहिणापुवयं पणमिऊण तइलोककलमलं जयबंधवं, निसन्ना जहो६ इयट्ठाणेसु, पुच्छिया सुहविहारवत्ता, खणमेकं च ते जिणरूवदंसणसुहमणुहविऊण जहागयं पडिनियत्ता । अह जयनाहो गामाणुगामयं विहरिऊण भूवीढं। वाणारसीएँ पत्तो तत्थ य महिओ सुरिदेण ॥१॥ पुणरवि रायगिहमि य फुरंतमणिरयणमंडियसिरेण । ईसाणतियसवइणा थुयमहिओ पुच्छिओ य पियं ॥२॥ महिलानयरीएवि हु पत्थिवजणगेण परमभत्तीए । धरणिदेण य नागाहिवेण हिटेण पणिवइओ ॥३॥ गामागराइसु चिरं विहरिय पत्तंमि वरिसयालंमि । एक्कारसमे सामी वेसालीऍ पुरीए गओ ॥४॥ तसपाणबीयरहिए थीपसुपंडगविवजिए ठाणे । चाउम्मासियखमणं पडिवजित्ता ठिओ पडिमं ॥५॥ भूयाणंदो य तहिं भुयगवई भगवओ भवभएण । भत्तिभरनिभरंगो पूयामहिमं पयट्टेइ ॥६॥ अह तत्थेव पुरीए सावगधम्ममि बद्धपडिबंधो। दक्खिन्नदयापसमाइपवरगुणरयणरयणनिही ॥७॥ नामेण जुन्नसेट्ठी सुसावगो वसई विस्सुयजसोहो । अन्नो मिच्छादिद्वी अहिणवसेहित्ति नामेण ॥८॥ एगम्मि वासरंमी कज्जवसा नयरि बाहि नीहरिओ। सो जुन्नसेट्ठी सहो परमवियढो गुणहो य ॥९॥ पेच्छइ कंचणसच्छहसरीरकरपसरभरियनहविवरं । नीसेसलक्खणधरं उस्सग्गठियं महावीरं ॥१०॥ तं पेच्छिऊण निच्छउमजायसवण्णुनिच्छओ सहसा । हरिसुच्छलंतरोमंचकंचुओ वंदिउं सामि ॥११॥ Jain Education For Private Personel Use Only
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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