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________________ विद्युत्कुमा| रेन्द्रस्तुतिः स्कन्दप्रतिमाकृता उपासना. श्रीगुणचंद सामीवि सेयवियानयरिमुवगओ, तत्थवि हरिस्सहो नाम भवणाहिवई देवो एइ वंदइ य पियं च पुच्छइ, जहामहावीर भयवं! नित्थिना बहूवसग्गा, थेवमियाणिं सोढवं, केवलनाणं च लहुं उप्पजिहित्ति भणिऊण जहागयं पडिनियत्तो। ७प्रस्ताव: तिहुयणपहवि तत्तो विहरिऊण सावत्थीए नयरीए परिसरे पलंबियभुयदंडो ठिओ काउस्सग्गेणं, तम्मि य दिणे ॥२३२॥ लोगो सिंगारियसरीरो गहियसुरहिकुसुमदामो विविहविलेवणभरियकचोलयसणाहो खंदपडिमाए पूयणत्थं भयवंतं तअइक्कमिऊण गंतुं पयहो। सा य खंदपडिमा तवेलं ण्हविया विलित्ता य जावऽजवि न समारोविजइ रहवरे ताव कहं महावीरो विहरइत्ति परिन्नाणनिमित्तं पउत्तो ओही सुराहिवेण, दिडो सो पुरजणो भयवंतं मोत्तूण खंदपडिमाए पूयामहिमं कुणमाणो, तथणंतरं ओयरिओ सुरलोयाओ, अणुपविट्ठो य खंदपडिमं, ताहे पुरंदराहिट्ठिया चलिया भयवओऽभिमुहं खंदपडिमा, तं च सयमेव चलंतिं दद्दूण तुठ्ठो लोगो-अहो देवो! सयमेव रहं आरुहइत्ति, मावि रहं मोत्तण गया भगवओ समीवं. तिपयाहिणदाणपुत्वयं च पडिया पाएसु, भूमितलनिविद्या या पजुवासिउमारद्धा, लोगाऽवि तहाविहमच्छरियं पेच्छिऊण विम्हिया चिंतंति-अहो वंदियवंदणिजो एस कोइ महप्पा निप्पडिमप्पभावसंगओ य ता सबहा न जुत्तमायरियमम्हेहिं जं इममइकमिऊण गयत्ति अत्ताणं निंदंतेहिं सामिणो कया सबायरेण महिमा, अह जाए पत्थावे जयगुरू तओ पएसाओ निक्खमिऊण गओ कोसंनियरिं, तत्थ य उस्सग्गमुवगयस्स जयगुरुणो जोइसचकाहिवइणो सूरससहरा सविमाणा वंदणत्थं ओयरिया वसुंधरापीढं, ॥२३२॥ X For Private Personal Use Only B Jain Educa .jainelibrary.org t ional
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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