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________________ श्रीगुणचंद महावीरच ० ६ प्रस्तावः ॥ १९२ ॥ Jain Educatio ते एवं फरुसक्खरं तं जंपमाणं पेच्छिऊण समुप्पन्नरोसा भणति - अरे वाहिँ निच्छुभह एवं दुट्ठमुहं, न कजमेएण इहट्टिएणं, एवं कहिए कंठे घेत्तूण इयरेहिं निस्सारिओ देवउलस्स वाहिंमि गोसालो, तहिं च हिमतुसार संवलि - यानिले अन्माहओ समाणो निविडबाहुबलरीसंछाइयवच्छत्थलो कंपंतकाओ दंतवीणावायणं कुणमाणो समुद्धसियरोमकूवो अच्छिउं पवत्तो, तारिसं च तं दडूण जायाणुकंपेहिं अइनीओ सो अन्नेहिं देवउलमज्झे, खणमेत्तं च जायसीयावगमो नियदुट्ठसीलयं पडिक्खलिउमपारयंतो पुणोऽवि वागरेइ - ' जत्थ गिहिणीसु पेम मिचाइ, तओ | पुणोऽवि नीणिओ पवेसिओ य जाव तिन्नि वारे, चउत्थवाराए भवणमज्झपविट्ठो गोसालो भइ दूरे अच्छउ नियमयविगप्पियं जं न लब्भए वोत्तुं । सम्भूयंपि न पावेमि भासिउं किं करेमि अहं ? ॥ १ ॥ नमिमोतिसंझमेयं ठाणं न जहिँ सदुच्चरीयस्स । रूसिजर थेवंविहु जइ पर फुडवाइणो चेव ॥ २ ॥ एवं च निसामिऊण परिणयबुद्धीहिं भणिया-एस इमस्स देवज्जगस्स कोऽवि पीढियावाहगो वा छत्तधारगो वा पडिचारगो वा होही, ता किं अरे एएण ?, तुहिक्का अच्छह, नियनियकज्जाई करेह, जइ सोढुं न तरेह ता सचतुराई वाह, जहा से सद्दो न सुणिज्जइ, तहेव विहियं तेहिं, अह जायंमि पभायसमए समुग्गए दिणयरे पञ्चक्खीभूयंमि जीवनियरे तओ ठाणाओ पडिमं उवसंहरिऊण सामी सावत्थि नयरिं गओ, ठिओ तीसे बाहिं पडिमाए, इओ य भोयणसमए गोसालो पुच्छइ-भयवं । तुच्भे भिक्खटुं अईयह ?, सिद्धत्थो भणइ-अज अम्ह उववासो, सो पुच्छइ tional For Private & Personal Use Only कृतांगले दरिद्रस्थविराः. ॥ १९२ ॥ ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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