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________________ Jain Education पाव ! नवमासमेत्तं गच्भे बूढोवि पालिओवि बहुं । सयवारंपि य भणिओ बसि नो वयणमेत्तेऽवि ॥ ३ ॥ इय जणणीए एसो वृत्तो पच्चुत्तरं इमं भणइ । अम्मो ! ममोदरे विससु जेण दुगुणं तुमं धरिमो ॥ ४ ॥ जत्थ दिवसंमि कलहं पिउणावि समं पउंजइ न एसो । भोयणरुईवि पावस्स तस्स जायइ न तत्थ फुडं ॥ ५ ॥ नीसेसदोसनिवहेण निम्मिओ निच्छियं पयावरणा । जं तारिखो न दीसइ अन्नो समिवि जयंमि ॥ ६॥ तह कहवि तेण नियदुट्टिमाइ लोगो परंमुह विहिओ । जह दुस्सीलजणाणं सो पढमनिदंसणं पत्तो ॥ ७ ॥ विसरु दिट्ठीविसोव पढमुग्गमेवि वहू॑तो । दंसणमेत्तेणं चिय भयावहो सो जणे जाओ ॥ ८॥ अन्नया य सो पिउणा समं वाढं कलहिऊण तारिसयं चिय चित्तफलयं आलिहावेत्ता एकलो भमंतो उवागओ तत्थेव सालाए जत्थ भयवं ठिओत्ति । एसा गोसालगस्स उप्पत्ती ॥ अह सामी पढमं मासखमणं काऊण पारणगदिणे पविट्ठो भिक्खट्टा, गोयरचरियाए पत्तो विजयाभिहाणस्स सेट्ठिस्स मंदिरं, दिट्ठो य तेण भयवं, तओ परमहरिसवसविसप्पमाणसमुच्चरोमंच मुहंतेण पाराविओ भूरिभक्खवंजणसनिद्धार भोयणविहीए, पाउन्भूयाणि नहयले गंभीर मेरी भंकारुम्मिस्सचउविहतुरसणाहाई सिंदूरपूरारुणचा - मीयरधारापज्जवसाणाई पंच दिवाई, वियंभिओ तियचउक्कचच्चरपहेसु विविहो साहुवाओ, निसामिओ गोसालेण एस वृत्तंतो, तओ चिंतियमणेण - अहो न सामन्नमाहप्पो एस देवज्जो, ता परिचहऊण चित्तपट्टिगापासंडं पडिव - anal For Private & Personal Use Only Finelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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