SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 380
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगुणचंद महावीरच० ५ प्रस्तावः ॥ १८० ॥ Jain Educatio सामाइयपडिवन्नो समणसमो अइयारपंकपरिरक्खणपरो धम्मसत्थपोत्थयं वाएइ, नियपरियणो य पंजलिउडो चित्तलिहिओa निसामेइ, तेऽवि कंवलसंवला अहाभयाए तहाविहमोहणिजकम्मलाघवेण य थिरीकयसवणउडा अवक्खित्तचित्ता सन्नित्तणेण मुणियजुत्ताजुत्ता सम्मं सुणंति, जायभवभवभया य जदिवस सावगो उपवासं कुणइ तद्दिवसं तेऽवि चारिं पाणियं च परिचयंति, पुणो पुणो दिजमाणंपि न गिण्हंतित्ति । अह तेसु तिरियजोणीसमुब्भवेयुवि तवं करेंतेसु । सगुणत्ति पक्खवायं वहमाणो चिंतए सेट्ठी ॥ १ ॥ अणुकंपा दिन्नमेसिमसणाई | साहम्मिगबुद्धीए एत्तो सवं करिस्सामि ॥ २ ॥ साहम्मियवच्छलं जेण जिनिंदेहिं भुवणपणएहिं । सम्मत्त सुद्धिहेउं निद्दिद्धं धम्मियजणस्स ॥ ३ ॥ rogar को धुवं अहो पभावो जिणिंदवयणस्स । जं नियुणिऊण तिरियावि जंति बेरग्गमग्गंमि ॥ ४ ॥ इय चिंतिऊण सविसेसमायरं तेसि दंसए सेट्ठी । भधेसु पक्खवायं वहति जं वीयरागाऽवि ॥ ५ ॥ एवं च उचियकायच्चपरायणस्स सम्ममुवसंतचित्तस्स सरंति वासरा, अन्नया य तीए नयरीए भंडीरजक्खस्स जणेण जत्ता पत्थुया, तत्थ य विविहतुरगाइवाहणाधिरूढो निग्गंतूण सयलपुरलोओ तस्स पुरओ वाहं करे । ओ - जिणदाससेट्ठिो पियमित्तो अञ्चतको ऊहलिओ जक्खजत्ताए वाहियालिं काउमणो सेट्ठि अणापुच्छ ऊण पणयभावेण कंबलसंबले गंतीए जोत्तिऊण गओ जक्खपुरओ, वाहिया महतीवेलं, ते य अचंतदरिसणिज्जायारत्तणेण tional For Private & Personal Use Only आभीरार्पितौ कम्ब लशम्बल वृषौ. ॥ १८० ॥ ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy