SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वृत्तम्. श्रीगुणचंद तं पुण पाविस्सं ?, सिद्धत्थेण भणियं-एयस्स चेव पुरोहडे महिसिंदुनामस्स पायवस्स पुरत्थिमेणं हत्थमेत्तं गंतूण | अच्छन्दकमहावीरच० भूमिनिहित्तं उक्खणिऊण गिण्हसुत्ति वुत्ते सो कम्मारओ लोगेण समं गओ जहोवइट्ठपएसे, आगरिसिऊण गहियं पापण्डि५प्रस्तावः ४ वट्टयं, हलबोलं कुणंतो य जणो पडिनियत्तो जिणस्स अंतिए । तयणंतरं च पुणो सिद्धत्थेण भणियं-अन्नपि सुणेह, ॥१५७॥ अत्थि किमिह इंदसम्मो नाम गाहावई ?, जणेण भणियं-अत्थि, एत्यंतरे सो इंदसम्मो निषयनाममुक्कित्तिजमाणं । सोऊण सयमेव उवढिओ भणइ-आणवेह सो अहंति, सिद्धत्थेण भणियं-अस्थि भद्द! तुज्झ पुवकाले ऊरणगो पणट्ठो?, तेण भणियं-अस्थि, सिद्धत्थेण भणियं-अरे एएण अच्छंदएण सो हणिऊण खाइओ, अद्वियाणि से उक्कुरुडियाए बदरीए दाहिणे पासे उज्झियाणि अजवि चिटुंति, जइ कोऊहलं ता अजवि गंतूण पेच्छहत्ति वुत्ते वेगेण धाविया तदभिमुहं, अछियाणि पलोइयाणि, कलकलं करेंता आगया जिणसगासे, पुणरवि सिद्धत्थेण भणियं-एयं दुइजं दुचरियं, अन्नपि तइजं अत्थि, परं नाहं कहिस्सं, ते य एयमायन्निऊण गाढं निबंधं काऊण पुच्छिउमारद्धा, कहं ?| देव! पसीय महापहु पुणोवि अण्णं न पसिणइस्सामो । अद्धोवइट्ठमेकं एवं अम्हं निवेएसु ॥१॥ ॥१५७॥ जह जह न साहइ सुरो तह तह पुच्छंति आउला धणियं । सचं जायं एवं जमद्धकहियं हरइ हिययं ॥२॥ - एवं निब्बंधपरेसु तेसु सिद्धत्थेण भणियं-अरे मा तरलायह, अम्ह अभासणिजमेयं, जइ अवस्सं सोयचं ता| SOSIAALIGAYACAO RERACREACHERRORS-2 in Eduen For Private Personal use only THelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy